पीयूष चन्देल, अलीराजपुर
आदिवासी समाज को पूर्व में दिशाहिन व बहुत कमजोर आका जाता रहा है, आर्थिक रूप से अभी भी बहुत कमजोर है, परन्तु वैचारिक रूप से कमजोर नही है। रविवार शाम सोशल मीडिया पर तीन राज्य की आदिवासी समाज की नेत्रियों एवं नारी शक्तियों के द्वारा देश में आदिवासी समाज के जमीनी स्तर पर जुड़े गंभीर मुद्दों एवं आदिवासी समाज मे महिलाओं से सम्बंधित विभिन्न समस्याओं को लेकर ऑनलाईन वेबिनार कर चर्चा की गई।
आज आदिवासी समाज मे भी महिलाओं में दिनों दिन जनजागरूकता आ रही है। वे स्वयं समाज की दशा और दिशा के लेकर चिंतित हैं, ओर समाज में क्या अच्छा होना चाहिए जानने लग गई है। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। कई महिला संगठन के द्वारा समाज हित मे कार्य कर रहे हैं, ओर राष्ट्रीय स्तर पर एक दूसरे से जुड़कर राष्ट्रीय एवं स्थानीय मुद्दों को लेकर गम्भीर हैं। विभिन राज्य की महिला नेत्रियों में एलिन अर्चना लकड़ा मोडरेटर, मोनिका मरांडी सहायक मांडरेटर, सुमित्रा वसावा असिस्टेंट पब्लिक प्रोसिक्यूटर देवभूमि द्वारका गुजरात, हुकुम मीना प्रदेश अध्यक्ष आदिवासी महिला संघ राजस्थान एवं सरस्वती तोमर आदिवासी एकता परिषद महिला प्रोकोष्ठ जिला सचिव अलीराजपुर मध्यप्रदेश ने कार्यक्रम को सम्बोधित कर आदिवासी समाज से जुड़े जमीनी मुद्दे एवं समाज में महिलाओं की स्थिति व समस्याओं को लेकर जनजाग्रति का संदेश देकर महिलाओं को प्रेरित किया, ओर विभिन्न मुद्दे व समस्याओं पर विस्तार पूर्वक परिचर्चा कर कार्य योजना बना कर कार्य करने के लिए प्रेरित किया।