झाबुआ डेस्क । पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने आज जारी बयान में कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चोहान शायद खुद को सर्वज्ञानी और सर्वशक्तिमान मान बैठे है। यही वजह है कि वे ऐसे गंभीर मुददों पर भी गलत बयानी कर बैठते है, जो मुख्यमंत्री के अधिकार के क्षेत्र के बाहर होते है। वे आज कल भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में जल्दी-जल्दी क्षेत्र में पहुंच रहें है। सैलाना विधानसभा क्षेत्र के कुंदनपुर और लीमडीपाड़ा की चुनाव सभा में उन्होने कहा है कि ‘आदिवासियों का आरक्षण तब तक समाप्त नहीं होगा जब तक वे जिंदा है।’ आरक्षण को लेकर ऐसा आश्वासन देने वाले शिवराज सिंह आखिर कौन होते है। आरक्षण की मंजूरी भारतीय संसद ने दी है और वही उसमें किसी प्रकार का बदलाव भी कर सकती है। इसमें मुख्यमंत्री की कोई सीधी भूमिका नहीं रहती। जो विषय मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में है ही नहीं, उसकों लेकर मतदाताओं को इस तरह गुमराह करना नैतिकता के सर्वथा खिलाफ है। आरक्षण के मुद्दे पर बोल कर शिवराज सिंह आखिर अपनी जगहंसाई क्यों करा रहे है? जिस मामले से उनका दूर का भी संबंध नहीं है, उसमें अपने पैर नाहक फसाने से वे दूर ही रहें तो बेहतर है।
शिवराजसिंह का संसदीय ज्ञान खोखला
भूरिया ने कहा है कि आरक्षण के मुद्दे पर ऐसी ही एक ओर बात वे कुछ दिन पूर्व कह चुके है। उन्होने कहा था ‘आरक्षण न होता तो न मैं मुख्यमंत्री होता और न मोदी प्रधानमंत्री।’ यह कितनी बचकानी एवं भ्रामक टिप्पणी है। सब जानते है कि शिवराज सिंह और नरेन्द्र मोदी दोनो सामान्य सीट से चुनाव लड़कर जीते हैं और क्रमशः मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री बने है। दूसरा, मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री का पद आरक्षित भी नहीं है। ऐसी दशा में शिवराज सिंह की उक्त टिप्पणी कितनी हास्यास्पद और बेबुनियाद है, यह सहज ही समझा जा सकता है। आरक्षण से संबंधित इन दोनो टिप्पणियो से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर बैठे शिवराजसिंह का संसदीय ज्ञान कितना खोखला है।
‘‘ना’’ का सीधा अर्थ ‘‘हां’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने आगे कहा है कि भाजपा के नेताओं कि कार्यशैली अन्य पार्टीयों के नेताओं से एकदम अलग है। वे जब किसी गंभीर मुद्दे के संबंध में ‘‘ना’’ कहते है तो उसका सीधा-सीधा अर्थ ‘‘हां’’ ही होता है, क्योकि वे जो कहते है वह करते नहीं है और जो नही करते वह अवश्य कहते है। श्री भूरिया ने कहा है कि अब आरक्षण को ही लिया जाए। भाजपा के बडे नेतागण एक पेर पर खडे होकर बार-बार कह रहे है कि आरक्षण खत्म नही किया जाएगा। ऐसी बयान बाजी आदिवासियों और दलितों के साथ एक बडा छलावा है। क्योंकि आरक्षण को खत्म करने की चिंगारी भाजपा की मातृसंस्था आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत ने फेकी है। नरेन्द्र मोदी, अमित शाह और शिवराज, किसी में दम नहीं है कि वे भागवत की इच्छा के विरूद्व एक इंच भी इधर-उधर हो जाए। आखिर यह सब आरएसएस सुप्रिमों के इशारों पर नाचने वाली कठपुतलियां ही तो है। इसलिए रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र के आदिवासियों और दलितो से आग्रह है कि शिवराज सिंह की टिप्पणी के पीछे छीपे ‘‘हां’’ को पहचाने।
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