प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी का चातुर्मास के लिए हुआ मंगल प्रवेश

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थांदला रितेश गुप्ता

आचार्य श्री उमेशमुनिजी के शिष्य प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी अभयमुनिजी, गिरीशमुनिजी, शुभेषमुनिजी ठाणा-4 का चातुर्मासार्थ थादंला नगर में सोमवार को सादगीपूर्ण मंगल प्रवेश हुआ। प्रवेश के दौरान शासन की गाइड लाइन का पालन करते हुए सोशियल डिस्टेंसिग, मास्क, मुख वस्त्रिका पहन कर सीमित संख्या में श्रद्धालु अगवानी करने पहुंचे, शेष श्रावक-श्राविकाओं ने प्रवेश मार्ग पर कतारबद्ध होकर दर्शन-वंदन का लाभ लिया। प्रवर्तक श्री ने मांगलिक श्रवण करवाई एवं अनुशासित होकर शासन के नियमो का पालन करते हुए धर्म आराधना की प्रेरणा दी। प्रवचन व ध्यान मांगलिक फिलहाल स्थगित रखे गए है। मुनिमण्डल का बदनावर, सारंगी, करवड़, बामनिया, खवासा आदि क्षैत्रों में धर्मप्रभावना करने के पश्चात यहां आगमन हुआ। श्रीसंघ के अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत और सचिव प्रदीप गादिया ने बताया कि – प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी व मुनिमण्डल की अगवानी हेतु साध्वी निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी, दीप्तिजी ठाणा-4 एवं श्रावक-श्राविकाएं खवासा रोड़ पर पहुंच गए थे। श्रीसंघ के अध्यक्ष जितेन्द्र घोड़ावत ने प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी, मुनिमण्डल व साध्वी मंडल का वर्षावास मिलने पर प्रवर्तकश्रीजी के प्रति संघ की ओर से कृतज्ञता ज्ञापित की। प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी के मुखारविंद से आराधकों ने उपवास, आयम्बिल, नीवीं, एकासन, बियासन आदि विविध तप के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।
पूरे पांच माह तक चलेगी लडिय़ाँ
श्री ललित जैन नवयुवक मण्डल के अध्यक्ष कपिल पीचा और सचिव जितेन्द्र सी. घोड़ावत ने बताया कि-प्रवर्तक जिनेन्द्रमुनिजी, मुनिमण्डल व साध्वी मंडल के वर्षावास में पूरे पांच माह तक श्रावक-श्राविकाएं ज्ञान-दर्शन-चारित्र व तप की विशिष्ट आराधना करेगें। पांच माह तक विभिन्न तप की लडिय़ां चलेगी। वर्षावास में महापुरुषों की पुण्यतिथि, जन्मतिथि आदि भी समरोहपूर्वक न मनाते हुए तप-त्याग से मनाई जाएगी। इसके अलावा भी वर्षावास में कई आराधनाएं संपन्न होगी। गौरतलब है कि वर्षावास 4 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। गौरतलब हैं कि प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी ने गत 12 मार्च को कल्याणपुरा में होली चातुर्मास प्रसंग पर आगम में उल्लेखित सभी आगार रखते हुए अपना आगामी 2020 का वर्षावास उज्जैन घोषित किया था। किंतु कोरोना महामारी एवं उज्जैन शहर की वर्तमान परिस्थिति को दृष्टिगत रखते हुए प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी ने आगामी वर्षावास उज्जैन को परिवर्तित कर समस्त आगारों सहित धर्मनगरी थांदला करने की घोषणा की। उल्लेखनीय हैं कि वर्ष 1997 में आचार्यश्री उमेशमुनिजी अणु के साथ प्रवर्तक श्री जिनेंद्रमुनिजी का वर्षावास हुआ था। 23 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद दूसरी मर्तबा एवं प्रवर्तक पद से सुशोभित होने के बाद पहली बार संघ को आपका वर्षावास बड़े ही सौभाग्य एवं पुण्यवानी से मिला हैं। इससे संघ का उत्साह देखते ही बनता हैं।

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