झाबुआ लाइव डेस्क के लिऐ पेटलावद से हरीश राठौड
मध्यप्रदेश के इतिहास की सबसे बडी त्रासदी ” पेटलावद ब्लास्ट ” जिसमे 200 जिंदगीया तबाह हो गयी उसके मुख्य आरोपी ” राजेंद्र कांसवा” को पकड़ने मे नाकाम एसआईटी को अब एक ओर नाकामी का खतरा है वह है पेटलावद की जेएमएफसी कोट॔ द्वारा ” नार्को ” टेस्ट करवाने के आदेश का 15 दिन बाद भी पालन सिर्फ इसलिए ना करवा पाना क्योकि ” राज्य सरकार” के ग्रह मंत्रालय ने झाबुआ पुलिस द्वारा मांगे गये बजट को अभी तक स्वीकृत ही नही किया है ओर इसी दौरान जिन 6 लोगो का नार्को टेस्ट होना है उनमे से एक ” मनोज गादिया” ने पेटलावद कोट॔ के फैसले को झाबुआ के अतिरिक्त जिला & सत्र न्यायालय मे यह कहते हुऐ चुनौती दी है कि पेटलावद न्यायालय के आदेश मे राष्टीय मानव अधिकार आयोग ओर कुछ रुलिंग का पालन नही किया गया है अब आगामी 2 नवंबर को झाबुआ की अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय मामले की सुनवाई करेगी ।
बजट आवंटन मे देरी आखिर क्यो ?
इतने बडे मामले मे आखिर सरकार ने बजट आवंटन मे इतनी गंभीरता क्यो नही दिखाई ? एक व्यक्ति के नार्को पर एवरेज 55 हजार खर्चा होना था इस लिहाज से सरकार को मात्र 3 लाख 30 हजार का ही खर्चा करना था मगर इतनी देरी आखिर किसी की मदद करने के लिए की गयी या चुनाव तारीख तक सच को सामने आने से रोकने के लिए की गयी है ? यह एक बडा सवाल है ।
डीएनए भी रहस्यमय ढंग से लेट
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पेटलावद ब्लास्ट मामले मे पहले जो डीएनए लिया गया था वह सैंपल फेल हो गये थे उसके बाद 18 अन्य शवों के सैंपल लेकर भेजे गये मगर 15 दिन गुजर जाने के बाद भी उनकी रिपोर्ट ना आना कई संदेहों को जन्म दे रहा है आम लोगो के मन मे यह सवाल खडे हो रहे है कि पाकिस्तान से आई गीता की डीएनए रिपोर्ट 72 घंटे मे आ गयी तो पेटलावद ब्लास्ट जो मध्य प्रदेश की सबसे बडी त्रासदी है उसकी रिपोर्ट इतनी लंबी क्यो खींच रहे है आखिर जांच एजेंसिया मामले मे देरी कर किसे लाभ पहुंचा रही है यह सवाल इसलिए उठना लाजिमी है क्योकि अंचल मे चुनाव दस्तक देर चुका है ।