वाह रे सरकार, नेता बग्घी मे घूम रहे ओर उधर तडप रहा है शुभम
झाबुआ लाइव डेस्क के लिऐ ” मुकेश परमार ” live
सरकारी कथनी ओर करनी मे कितना अंतर होता है यह देखना हो तो गुजरात के दाहोद के एक निजी अस्पताल भे भर्ती पेटलावद ब्लास्ट पीडित एक किशोर ” शुभम पिता बाबूलाल पाटीदार” को जाकर देख आईये जो अभी भी जीवन ओर मौत के बीच तिल तिल कर संघर्ष कर रहा है उसकी दोनो आखे इस हादसे मे लगभग खत्म हो चुकी है ओर एक हाथ का मांस गायब हो चुका है । घटना के दिन वह अपने दो दोस्तो के साथ ट्यूशन पढने गया था दोनो दोस्त तो मौके पर ही मारे गये लेकिन शुभम जिंदा लाश बनकर हादसे के बाद जी रहा है ।
सीएम का वादा भी निकला झूठा
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पेटलावद ब्लास्ट के दूसरे ओर तीसरे दिन पेटलावद आये मुख्यमंत्री ने सभी घायल के सरकारी खर्च पर कही भी इलाज की घोषणा की थी ओर सरकारी अस्पताल के बाहर निजी अस्पतालों मे इलाज सुनिश्चित करवाने के लिए कलेक्टर को नोडल अधिकारी नियुक्त करने के आदेश दिए थे मगर अब ऐसे अधिकारी गायब है प्रशासन की प्राथमिकता चुनाव हो गया है शुभम लगातार कराह रहा है मगर सरकार चुनाव जीतने मे लगी है ओर प्रशासन चुनाव की तैयारी मे ।
अभी तक सिर्फ 35 हजार की मदद
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झाबुआ लाइव को शुभम के पिता बाबूलाल ने बताया कि सरकार से अभी तक उन्हें सिर्फ 35 हजार रुपये मिले है ओर एक लाख रुपये कर्ज लेकर वह खच॔ कर चुके है दवाईया उन्हें ही खरीदना पड रही है मगर अब जब शुभम को इलाज मे फायदा नही हो रहा है तो हम उसे दूसरे अस्पताल मे ले जाना चाहते है भर दिक्कत यह आ रही है कि अब हमारे पास पैसे नहीं है ओर दाहोद का ” सुमनदीप” अस्पताल बिल का भुगतान किए बिना छुट्टी देने को तैयार नही है ।
क्या विडंबना है यह
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मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के जाते ही यह हालात हो गये थे कोई भी स्थानीय या जिला स्तरीय संगठन का नेता इन पीडितो की सुध लेने गया होता तो शायद शुभम जैसे हालत ना होते मगर अफसोस की इन नेताओ कोई तो ” बग्घी ” पर बैठकर घूमना था , भंडारा करवाना था ओर अपने नाम के कैलेंडर बांटने थे । जो रमेश मेंदोला अगर लाखो खच॔ कर गये वह ऐसे परेशान लोगो की मदद कर देते तो शायद भला हो जाता ।