चाय,पानी पुरी, पान की गुमटी अन्य छोटे ठेला व्यापारियों पर दो वक्त की रोटी का संकट, अब नहीं होती छोटे बड़े ग्रामीण शहरी कस्बों में चाय पर चर्चा

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भूपेंद्र बरमण्डलिया @मेघनगर

कोरोना वायरस के चलते 22 अप्रैल को जनता कर्फ्यू के साथ पूरे देश के साथ झाबुआ जिले व मेघनगर में लॉकडाउन लगा हुआ है। बीच में सात कोरोना वायरस मरीज मिलने के बाद कुछ दिनों तक सपूर्ण लॉक डाउन के हालात बने रहे।लेकिन अब 17 मई के बाद देश व झाबुआ जिले की स्थिति कुछ हद तक नियंत्रण में है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 मई से लोग डाउन 4 का भी आदेश कर दिया आत्मनिर्भरता के साथ इसका स्वरूप क्या होगा यह तो 18 मई तारीख को ही पता चलेगा।इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार ने जिन क्षेत्रों में ढील दी गई है, उनके लिए गाइडलाइन तय कर कई व्यापारियों को व्यवसाय संचालित होने की अनुमति का मन बना रही है। लेकिन पान की दुकान, चाय दुकान, होटल,सलून, और अन्य कई ऐसे प्रतिष्ठान जिन पर 56 दिनों के बाद भी छूट नहीं मिलने से रोजी रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है उनको खोलने की अनुमति नहीं दी। केंद्र सरकार की इस गाइडलाइन से शहर के छोटे तबके के व्यापारियों को निराशा हाथ लगी है। उनका कहना है कि हमारे व्यापार तो छोटे-छोटे हैं। इसी से हमारी घर गृहस्थी चलती है। ऐसे में 56 दिन से भी अधिक बीत जाने पर भी हम लोगों को कोई राहत नहीं मिली है। घरों में रखा हुआ राशन पानी भी खत्म हो गया है। मध्यम वर्ग होने के कारण कई प्रकार की सरकारी सुविधाओं का लाभ भी हमें नहीं मिलता है। ऐसे में हम क्या करें। नगर के दर्जनों होटलों पर सैकड़ों कर्मचारी मजदूरी काम करते थे, जिनके लिए प्रतिदिन का मेहनताना मिलता था। ऐसे में उनका भी काम धंधा बंद पड़ा है।

विशाल बंजारा चाय व्यापारी..

छोटी सी चाय की गुमटी चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता हूं, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन लगा हुआ है। 56 दिनों से व्यापार बंद होने से तंगी में दिन गुजर रहे हैं। आशा थी कि 18 मई से दुकानों का संचालन शुरू होगा । हमारी मांग है कि नगर के होटलों को भी खोलने की सरकार अनुमति दे, जिससे कि परिवार चलाने में कोई परेशानी न हो। हम लोग भी शारीरिक दूरी का पालन अपनी दुकानों पर करेंगे।

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