भूपेंद्र सिंह नायक@पिटोल
: विगत 5 दिनों से पिटोल बॉर्डर पर मध्य प्रदेश के सभी जिलों से अन्य राज्यों के मजदूरों का भी आना प्रारंभ हुआ था परंतु 2 दिन तक तो यूपी और बिहार के मजदूरों को भी पिटोल बॉर्डर से उनके राज्य की सीमाओं तक पहुंचाया गया। उसके बाद केवल मध्यप्रदेश के मजदूरों को उनके गृह ग्राम तक छोड़ने का कार्य किया गया ।यूपी सरकार एवं गुजरात सरकार के बीच में तालमेल नहीं होने से यूपी और बिहार के मजदूरों को मध्य प्रदेश बॉर्डर से गुजरात बॉर्डर में वापस छोड़ दिया जाता था वहां से गुजरात पुलिस ने गोधरा के क्वॉरेंटाइन सेंटर तक ले जाती थी। यूपी और बिहार के मजदूरों की व्यथा यह थी कि कई-कई दिनों तक पैदल चले और पैदल चलकर बॉर्डर से पहुंचे भूखे प्यासे उसके बाद उन्हें वापस गुजरात पहुंचने में बड़ी पीड़ा होती थी और वह अपने छालों को अपने पैरों को मीडिया के माध्यम से अपनी पीड़ा बता देते थे परंतु शासन के कायदे कानूनों में उलझे लोग वापस गुजरात जाने को मजबूर हुए परंतु गए रात्रि को उत्तर प्रदेश सरकार एवं गुजरात सरकार के बीच में प्रशासनिक तालमेल हुआ और उन्होंने मंजूरी दी के गुजरात में फंसे हुए अन्य राज्यों के मजदूर हैं
।वह अपने वाहन करके या गुजरात सरकार उन्हें अपने राज्य एवं ग्रह ग्राम तक तक छोड़ें जैसा ही आदेश हुआ वहां से मजदूरों का निकलना प्रारंभ हुआ और आज सुबह से अभी तक पिटोल बॉर्डर पर 25000 से ज्यादा मजदूरों ने अपने गंतव्य की ओर जाने लगे पिटोल बॉर्डर पर झाबुआ कलेक्टर प्रबल सिपाहा के साथ झाबुआ पुलिस अधीक्षक विनीत जैन के साथ समस्त प्रशासनिक अमला लगा हुआ है और इन मजदूरों को अपने राज्यों की ओर छोड़ रहा है। गुजरात राज्य से इन लोगों को ट्रकों में बसों में जाने के लिए गुजरात सरकार द्वारा पास बना कर दिया गया है और वे पास दिखाकर अपने राज्य की ओर जाने लगे गुजरात राज्य शासन द्वारा ऐसा कहा गया है कि 3 तारीख तक गुजरात में फंसे हुए सभी प्रवासी मजदूरों को उनके राज्य ग्रह गांव तक भेजने की अनुमति दी गई है। पिटोल बॉर्डर पर फंसे यूपी और बिहार के मजदूरों को गुजरात से आने वाली गाड़ियों में यथास्थिति व्यवस्था कर पहुंचाया जा रहा है।