कोरोना महामारी को लेकर संजय भाबर ने जन जागरण के लिए भीली भाषा में लिखा गीत

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रितेश गुप्ता, थांदला

अंचल में कोरोना महामारी को लेकर ग्रामीणों में जन जागरण हेतु युवा रचनाकार संजय  कलसिंह भाबर द्वारा स्थानीय भीली भाषा में एक जन जागरण गीत की रचना की गीत को लेकर ग्रामीणों में काफी उत्साह देखा जा रहा है कुछ ही देर में है गीत बहुत तेजी से व्हाट्सएप के माध्यम से शेयर किया जा रहा है l गीत की शुरुआत आम नागरिकों से घर पर ही रहने की अपील के साथ भीली भाषा में थोड़ो रूकय जा रे मारा भाई की गई है :-

भीली कविता (कोरोना के खिलाफ )

*थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई*

                   – संजय कलसिंह भाबर

थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई

नाना -नानी ने बापों आई

सबने मारी एही राई

थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई ||1||

                देह मा ऐवे सन्देश आयो

                ज़ाणे कुण यो कोरोना लायो

                ज़ाणे केवी है रे ये लाई

                थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई -2 ||2||

तारा -मारा नी फिकर सबने

सावधानी पण राखो हमणे

मत उतावलो थाजे मारा भाई

थोड़ो रोकय ज़ा  रे मारा भाई ||3||

              पेलो पुलिस वालों पण अपड़ो भाई

                   पेलो डॉक्टर पण अपड़ो भाई

         तमु केम ऐना थी लफड़ो पाळो मारा भाई

         थोड़ा रोकय ज़ा रे मारा भाई ||4||

गांव मा सरपंच राशन वाटे ,देह मा खचपच माशाण थया

सरकारे पण किदू रा मारा भाई ,ड़ा रोकय ज़ा रे मारा भाई ||5||

    रूपया नो कय काम नहीं है ,  मुख्या नी कोई हुणे नहीं है

     खुद हारु ते रोका मारा भाई ,  थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई ||6||

सबने मारी केजों राम , घेर मा करलो थोड़ो आराम

हाटू मा फेर मलहू आपु, पण , थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई ||7||

गीत का हिंदी भावार्थ सहित रूपांतरण आम नागरिकों की समझ के लिए किया गया:-भीली कविता (कोरोना के खिलाफ ), *थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई*     – संजय कलसिंह भाबर 

थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई , नाना -नानी ने बापों आई

सबने मारी एही राई, थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई ||1||

(यह कविता भीली भाषा में लिखी गयी है जिसका हिंदी रूपांतरण यह है की कोरोना जेसी महामारी में व्यक्ति लॉक डाउन में भी भागमभाग करता है उससे आग्रह किया गया है कि – थोड़ा ठहर जाओ मेरे भाई, छोटे बच्चो से माँ -बाप से सभी से एक ही बात कहना चाहते है कि थोड़ा सा सब्र करलो थोड़ा रुक जाओ )

देह मा ऐवे सन्देश आयो , ज़ाणे कुण यो कोरोना लायो

ज़ाणे केवी है रे ये लाई थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई -2 ||2||

(देश में कोरोना जेसी महामारी का यह भयानक संदेश आया है जो एक गंभीर समस्या है, इसलिए आप बहार न जाये रुक जाये l)

तारा -मारा नी फिकर सबने , सावधानी पण राखो हमणे

मत उतावलो थाजे मारा भाई ,थोड़ो रोकय ज़ा  रे मारा भाई ||3||

(तुम्हारा मेरा सभी कि फिकर है हम सबको लेकिन सावधानी ही इसका फ़िलहाल इलाज़ है इसलिए थोड़ा रुक जाइये मेरे भाइयों )

पेलो पुलिस वालों पण अपड़ो भाई, पेलो डॉक्टर पण अपड़ो भाई

तमु केम ऐना थी लफड़ो पाळो मारा भाई , थोड़ा रोकय ज़ा रे मारा भाई ||4||

(इस महामारी में जहाँ पुलिस – डॉक्टर सभी हमे बचाने में लगे है वह भी हमारे भाई है लेकिन कुछ लोगो द्वारा उनके साथ गलत बर्ताव अच्छा नहीं है, इसलिए उनसे न उलझे और आप थोड़ा रुक जाये )

गांव मा सरपंच राशन वाटे , देह मा खचपच माशाण थया

सरकारे पण किदू रा मारा भाई , थोड़ा रोकय ज़ा रे मारा भाई ||5||

सरकार, गांव के सरपंच हमे राशन उपलब्ध करा रहे है रुकने का घरो में रहने का आग्रह कर रहे है तो सब्र रखे नहीं तो पूरा देश -विश्व समशान बन जायेगा इसलिए थोड़ा रुक जाइये मेरे भाई )

   रूपया नो कय काम नहीं है ,  मुख्या नी कोई हुणे नहीं है

 खुद हारु ते रोका मारा भाई ,    थोड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई ||6||

( ना रूपया -पैसा काम आएगा और ना कुछ लेकिन फिर भी हम हमारे मुख्या प्रमुख लोगो कि बात माने और दुसरो के लिए ना सही खुद के परिवार के लिए घर पर ही रहे इसलिए थोड़ा रुक जाइये )

सबने मारी केजों राम , घेर मा करलो थोड़ो आराम

हाटू मा फेर मलहू आपु, पण थो,ड़ो रोकय ज़ा रे मारा भाई ||7||

(इस संकट कि घड़ी में सभी से मेरा राम -राम कहना और घर में सभी थोड़ा आराम करना, यदि हम सुरक्षित रहे तो फिर बाजारों के हाट बाजार में फिर मिलेंगे, इसीलिए थोड़ा आप सभी घरो में ही रुक जाये मेरे भाइयों )यह  हिंदी  भावार्थ है l

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