प्रशासन का नवाचार, 100 फीसदी लॉकडाउन के नियमों का पालन करने वालों को घर जाकर किया जा रहा सम्मानित

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विजय मालवी, खट्टाली

स्थानीय प्रशासन लॉक डाउन को सफल बनाने के लिए जहां दिन रात मेहनत कर रहा है। वही नए-नए जतन कर आम लोगों को घरों में रोकने के लिए प्रयासरत भी है। एक और लाँक डाउन का उल्लंघन करने वालों को अस्थाई जेल की हवा खिलाई जा रही है तो 100% पालन करने वालों को उनके घर जाकर सम्मानित करने का अनूठा नवाचार भी पूरे जिले में सिर्फ जोबट क्षेत्र में ही प्रारंभ किया गया है । इस नवाचार से आम लोगों में घरों में रहने की सीख देते हुए उन्हें सम्मानित करने का जो अनूठी सोच एसडीएम किरण आंजना व तहसीलदार कैलाश ससत्या नायब तहसीलदार वंदना किराडे ने प्रारंभ की है, उसकी सर्वत्र प्रशंसा हो रही है ।रविवार शाम लगभग 8:00 बजे एसडीएम किरण आंजना का काफिला अचानक ग्राम बड़ी खट्टाली की सड़कों पर निकला तथा अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर क्षेत्र के प्रसिद्ध चारभुजा मंदिर पर शीश नवाकर इस नवाचार का शुभारंभ किया ।एस.डीएम सबसे पहले पंडित रामचंद्र शर्मा के निवास पर पहुंची ,तथा उन्हें 86 वें जन्मदिन की बधाई देते हुए सम्मानित किया। उल्लेखनीय है कि रामचंद्र शर्मा 22 मार्च के जनता कर्फ्यू के बाद से अपने कदम घर कि देहलीज के बाहर नहीं रखें। इसी के परिणाम स्वरूप स्थानीय प्रशासन ने उन्हें सम्मानित किया। साथ ही घर के अंदर रहने वाले माहेश्वरी समाज के वरिष्ठ कन्हैया लाल परवाल,आनंदीलाल चौधरी को भी लाँक डाउन का शत-प्रतिशत पालन करने पर सम्मान किया गया। वही राठौर समाज के वरिष्ठ फुलचन राठौड़ कालूराम राठौड़ मुलीबाई राठौड़ को भी घर जाकर सम्मानित किया। जिन बुजुर्गों का सम्मान किया गया अभी भी 80 की उम्र के बाद भी स्वस्थ है, तथा उनकी दिनचर्या प्राप्त 4:00 बजे से प्रारंभ हो जाती है । ये बुजुर्ग सबसे पहले घर की सफाई के बाद घर के सामने की सड़क की सफाई करना ,पूजन ध्यान के बाद स्नानादि से निवृत्त होकर प्रातः कालीन भ्रमण जो कि सूर्योदय के पूर्व निर्धारित है ,के लिए निकलना जबकि दोपहर में भी भोजन के बाद विश्राम के पश्चात उनकी दिनचर्या इसी तरह गतिशील रहती है। लॉक डाउन के बाद उन्होंने अपनी दिनचर्या को पूरी तरह बदल दिया। तथा घर के अंदर ही पूजा पाठ व अन्य कार्यों में स्वयं को व्यस्त रखा। यह सभी लाँक डाउन के बाद अपने घरों में ही स्वस्थ हैं। तथा इन्होंने अपने दृढ़ निश्चय को सार्थक किया व अपनी घर घर के मुख्य दरवाजे की देहलीज को भी पार नहीं कि।

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