कहीं प्रशासन की लापरवाही झाबुआ जिले को भी न बना दे रेड झोन…?

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अशोक बलसोरा, संपादक

कोविड-19 को लेकर जहां मप्र समेत पूरे देश में हाई-अलर्ट कर दिया गया है। वहीं 3 मई तक देश में लॉकडाउन है व कोरोना वायरस की इस कड़ी को तोडऩा व मूलत: नष्ट करने का जो अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रदेश के मुखिया शिवराजसिंह चौहान ने छेड़ रखा है। वहीं जिला प्रशासन की की सक्रियता केवल शहरी क्षेत्रों तक ही दिखाई दे रही है। पूर्व में भी ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर आगाह किया गया था लेकिन जिले में बैठे आला अफसर इसे हल्के में ले रहे हैं व जिले के ग्रामीणों को शहर की ओर रुख करते आसानी से देखा जा रहा है। यहां तक की लॉकडाउन का सरेआम उल्लंघन कर महामारी को न्योता दिया जा रहा है। वहीं प्रशासन में बैठे नुमाइंदों को सूचना देने के बावजूद भी इस भयावह स्थिति को हल्के में लेकर नजरअंदाज किया जा रहा है। इस बारे में कलेक्टर प्रबल सिपाहा से भी क्षेत्र में हो रहे लॉकडाउन के उल्लंघन की ओर ध्यान आकर्षित किया था। इस पर कलेक्टर का कहना था कि उन्हें वीडियो फुटेज या फोटो इसके दिए जाए। वहीं एसपी विनीत जैन से भी इस संबंध मे ंबात की व फुटेज तक दिए गए लेकिन ग्रामीणों का लॉकडाउन में शहरी की ओर आना-जाना निर्बाध जारी है। वहीं एसडीएम अभय खराड़ी को भी ग्रामीण परिस्थितियों के संबंध में वीडियो फुटेज देकर अवगत करवाया गया लेकिन आज तक मामला जस की तस बना हुआ है। आज स्थिति यह है कि झाबुआ जिला मुख्यालय से सटे पारा, खरडूबड़ी के साथ बामनिया, राणापुर आदि जिले के कस्बों में ग्रामीणों का झुंड में आवाजाही जारी है और लॉकडाउन के सरेआम उल्लंघन किया जा रहा है। पारा की बात करे तो सुबह 7 बजे से 11 बजे तक ग्रामीणों का हुजूम सहजता से देखा जा रहा है।

जिले की सीमावर्ती क्षेत्र में आ चुका है कोविड 19 का पॉजिटिव मरीज
अभी तक अलीराजपुर, झाबुआ जिले को कोविड से अछूता मान रहे थे, लेकिन बुधवार को अलीराजपुर जिले के उदयगढ़-कनास में कोरोना वायरस का पॉजिटिव केस मिलने से प्रशासन को गहरी चिंता में डाल दिया है। ऐसे में यदि अगर प्रशासन की लापरवाही आगे भी जारी रही तो झाबुआ में ग्रामीणों के साथ अन्य लोगों के लिए यह महामारी साबित न हो जाए। शहरी क्षेत्रों में प्रशासन लॉकडाउन का पालन करवाकर अपने आपको बेहतर प्रशासनिक सफलता मान रहे हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रो में यह महामारी दस्तक दे दे तो सारे प्रयास विफल हो जाएंगे।

कालाबाजारी चरम पर-
क्षेत्र में इन दिनों कोविड-19 के चलते गंभीर स्थिति बनी हुई है, इसके बावजूद भी क्षेत्र के कुछ व्यापारी अभी भी कालाबाजारी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं के अलावा भी कई वस्तुओं के भाव आसमान छू रहे हैं, इस लॉकडाउन में ग्रामीणों को व्यापारियों द्वारा जमकर लूटा जा रहा है। खाद्य तेल 120 से 140 रुपए लीटर बेचा रहा है। वहीं दाल, चीनी, चायपत्ती, गुटखा-बीड़ी जैसों के भाव भी आसमान को छू रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इन कालाबारियों की सूचना जिले के आला अधिकारियों तक नहीं पहुंचती है, सूचनाकर्ताओं से ही जिले के आलाधिकारी सबूत मांगते हैं। अब सवाल यह उठता है कि जिम्मेदार अधिकारी अंचल में चल रही इन कालाबाजारियों से नकेल नहीं कसेंगे तो ऐसे मुश्किल हालात में गरीब मजदूूर वर्ग का क्या होगा….? जरूरत है आला अधिकारियों को ऐसे कालाबाजारियों पर लगाम लगाकर उन्हें दंडित करना है व जिले के व्यापारियों को भी समझना होगा कि वे सबसे पहले मानव जाति की भलाई के लिए काम करें अभी मानव जाति पर परेशानी है और ऐसे समय में भी वे सिर्फ अपना ही भला चाहेंगे तो उन्हें आप क्या कहेंगे…… मानव या…….?

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