हाथ जोड़कर में बोले सुधाकरजी- हाथ मिलाने के बजाय हाथ जोड़कर अभिवादन करने से संक्रमण नहीं फैलता है, अभिवादन करना हमारी संस्कृति

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रितेश गुप्ता, थांदला

थांदला। नगर से 4 किलोमीटर दूर ग्राम उंडी खाली में शुक्रवार को भागवत कथा के दूसरे दिन उपस्थित श्रद्धालुओं को व्यासपीठ से संबोधित करते हुए हरिद्वार रंग महल से पधारे प्रमोद सुधाकर ने कहा कि मानव जीवन भागवत कथा श्रवण करने से धन्य बनता है पूज्यश्री ने सुखदेव राजा परीक्षित की कथा का वर्णन करते हुए मानव जीवन में शराब व गलत प्रवृत्ति से दूर रहने की बात आम नागरिकों से की भागवत कथा के दौरान संतों की वाणी श्रवण करने व कथा स्थल पर इंटरनेट फेसबुक से दूर रहने की सलाह के साथ पूज्य संत ने जीव का कल्याण कैसे हो के संदर्भ में श्रद्धालुओं को कृष्ण को परब्रह्म कहा गया है तथा धर्म की महत्ता का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में तिलक लगाना धर्म है मानव जीवन में किसी को पीड़ा न पहुंचाना यह भी हमारा धर्म है इस जीवन में किसी के मन को पा लेना सरल है किंतु किसी के दिल में बस जाना जैसे कृष्ण के साथ राधा राम के साथ सीता का बसना है धर्मसभा में कोरोना पर प्रहार व्यासपीठ से सुधाकर जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति हमें जोडऩा सिखाती है ना कि तोडऩा विश्व की महामारी बन चुके कोरोना पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि प्रथम विश्व युद्ध में जितना नुकसान नहीं हुआ था उससे अधिक नुकसान कोरोना के संक्रमण से हो रहा है । अत: हाथ मिलाने के बजाय हाथ जोड़कर अभिवादन करने से संक्रमण नहीं फैलता है। अभिवादन करना हमारी संस्कृति का पर्याय रहा है। संत ने प्रधानमंत्री के जनता कफ्र्यू का स्वागत करते हुए कहा कि देश के विरोधी लोगों को प्रधानमंत्री का वक्तव्य रास नहीं आ रहा है। कोरोना जैसी महामारी पर भी राजनीती कर रहे हैं कथा स्थल पर राधे कृष्ण राधे कृष्ण बोल सब तेरे दुख दूर होंगे अंतर्मन को खोल अंत समय में तेरे कोई काम नहीं आएगा के भजन पर श्रद्धालु थिरक रहे थे भागवत कथा में मेघनगर विपणन के अध्यक्ष कालूसिंह नलवाया, श्याम ताहेड, बाबू चौहान, अमित भाभर सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित थे।

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