चट्टान पर बना मां टीटकी का मंदिर
झाबुआ लाइव के लिए पिटोल से भूपेंद्र नायक की रिपोर्ट –
प्रकृति की गोद मे बसी मां टीटकी के दरबार मे हो रहे हैं शानदार गरबे पिटोल से 10 किमी दूर अनास एवं मोद नदी के संगम तट पर एक ही चट्टान पर बना मां का सुन्दर मंंिदर ओर चारो तरफ घने जंगलो के बीच हरियाली ही हरियाली तथा मां के मंंिदर के नीचे बहती कलकल छल छल करती नदी हरी वादियों मे झिलमिल करती रोशनी के बीच मां टीटकी के गरबों मे खेलने के लिये दूर दराज गांवोें से आदिवासी ग्रामीण भाई बहन द्वारा गरबा कर मां की भक्ति की जाती हेै। मां टीटकी के मंदिर मे पहुंचने के लिये पिटोल से बस द्वारा एवं मेघनगर से भी जाया जा सकता है कुछ वर्ष पूर्व तो यहा मेला भी लगता था। यहा के ग्रामीण चाहते है कि प्रशासन पहल कर उसे झाबुआ जिले के पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित करे। यहां पर नलकूप खनन होने से पानी की समस्या का समाधान हो गया है पर अब आसपास के गांवो के ग्रामीण की मांग है की माताजी के मंदिर तक पहुंचने के लिए अच्छे रोड का निर्माण करवा दे, जिससे श्रद्धालुओें को पहुंचने मे सुगमता हो। यहा के ग्रामीणो का कहना है की अगर माताजी के मंदिर तक सुगम मार्ग बन जाता है तो लोगो मे आने जाने का भय समाप्त होगा। क्योंकि इस मंदिर पर बाबा देव जैसा स्थान विकसित होगा। वहां के पण्डा पुजारी समसु भाई पिता बापू डामोर का कहना हैं मां टीटकी के दरवार मे जो कोई भी अपने मन की मन्नत मांगता है मां उसकी मुराद पूरी करती है। इस मंदिर पर राजस्थान गुजरात के लोग भी आते है। टीटकीखेडा, भांजीडुगरा, नेगडिया, छालकिया, बावड़ी, झापड़ा, काकरादरा, बलवन, मेहंदीखेडा, पिटेाल, छोटी पिटोल, फुलमावेडा, उचवाणीया, तानदलादरा, डाडनिया, राछेडा, लिमडाबरा, मोद, मेघनगर, झेर, अंतरवेलिया, पिपलीपाड़ा आदि गांवों के लोग शामिल होकर गरबा करते है।
होगा भण्डारे का आयोजन- नवरात्रि के अंतिम दिन माता के दरबार मे भण्डारं का आयोजन रखा गया है जो जनसहयोग के माध्यम से होगा वहा के पुजारी समसु भाई ने भण्डारे मे अधिक से अधिक लोगो के पधारने की अपील की हैै।