हलमा महासंपर्क अभियान में मात्र तीन माह में साढ़े आठ लाख लोगों तक पहुंचा परमार्थ का संदेश

0

विपुल पंचाल, झाबुआ

पर्यावरण एवं जल  संरक्षण के लिए शिवगंगा द्वारा झाबुआ में हलमा का आयोजन   29 फरवरी और 1 मार्च 2020 को  किया जा रहा है।   हालमा 2020 में  40000 कंटूर ट्रेंचेस का निर्माण कर  360 करोड़ लीटर जल का संरक्षित करने का लक्ष्य है। 2007 में शुरू हुए इस कार्यक्रम ने अब एक जन आंदोलन का रूप  ले लिया है। इस वर्ष हलमा के लिए 70000 परिवारों में संपर्क कर निमंत्रण दिया गया है। इस प्रकार 3 महीने तक चले अभियान से 8.5 लोगो तक परमार्थ  का सन्देश पहुंचाया गया। इसमें 20,000 ग्रामवासी हाथीपावा पहाड़ी पर हलमा में भाग लेंगे।

हलमा में इतनी बड़ी संख्या में ग्रामवासियों का एकत्रित होना शिवगंगा की सुनियोजित प्रबंधन व्यवस्था को दर्शाता है।  शिवगंगा ने मुख्य कार्यक्रम के पूर्व हलमा के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए  हलमा  महासम्पर्क अभियान  चलाया गया.  यह  अभियान नवंबर में 50 कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण से शुरू हुआ , इन 50 प्रशिक्षित  कार्यकताओ ने  300 परिवारों में संपर्क किआ. कार्यकर्ताओं के घर – घर  जाकर हलमा-पत्रक की स्थापना की  और उनसे हलमा-अभियान से जुड़ने का आवाहन किया । जिसके माध्यम से 250 कार्यकर्ता दूसरे प्रशिक्षण सत्र में उपस्थित हुए।  ये 250 कार्यकर्ता 4000 परिवारों तक पहुंचे।  इस तरह  तीसरे प्रशिक्षण सत्र तक कार्यकर्ताओ की संख्या लगभग 3500 हो गई ।  तत्पश्यात  इन  3500 कार्यकताओ ने गाँव-गाँव में जाकर 70,000 परिवारों तक हालमा का निमंत्रण पहुंचाया।   कार्यकर्ता  हलमा का निमंत्रण राम -राम के अभिवादन और परिवार के सारे सदस्यों से एक साथ जमा होने के आग्रह  के साथ प्रारम्भ  करते  है। गाँव की समस्यायों पर चर्चा करते  है।  फिर झाबुआ की जलदेवी जहमा माता और भगीरथ के कहानी के माध्यम से वे बताते हैं कि धरती माता प्यासी है इसलिए हमे शंकर जटाएँ अर्थात जल संरचनाएँ बनाना है। हलमा का निमंत्रण-पत्रक जिसमें शिवजी और जलहण देवी की तस्वीर होती है उसकी घर के पूजा-स्थान पर स्थापना करते है।  परिवार के हर सदस्य को चाहे वो  दो माह का बच्चा ही क्यों न हो, उसे हाथ  जोड़कर शिव जी के हलमा में आने का न्यौता देते  है।

यह अपने आप में इतनी प्रभावी और कुशल प्रणाली है कि 3 महीने के अंत तक, यानी दिसंबर-जनवरी-फरवरी में, परमार्थ और हलमा का संदेश लाखो  लोगों तक पहुंचा दिया गया।  ये वनवासी  दो दिनों के लिए अपने काम को छोड़ देंगे और अपने बच्चों के साथ आएंगे ‘जमीं माता’ की सेवा करने के लिए… परमार्थ की महान परंपरा के लिए – हलमा के लिए!

हलमा महासंपर्क अभियान 50 से शुरू होकर 8.5 लाख लोगों तक पहुंचने की एक प्रभावी प्रणाली है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.