रितेश गुप्ता, थांदला
लगातार तीन दिनों से जारी सफाई कर्मचारियों की हड़ताल ने पूरे नगर को कचरा मय कर दिया है । एक ओर जहां शासन सरकार आपके द्वार के नारे को लेकर जन समस्या को सुलझाने का प्रयास कर रही है तो वहीं परिषद के द्वार पर बैठे सफाई कर्मियों की ही गुहार परिषद द्वारा नहीं सुनी जा रही है। नगर परिषद थांदला नगर की समस्याओं से चिंतित होने से ज्यादा अपनी साख बचाने को लेकर ही सही हड़ताल पर बैठे सफाई कर्मचारियों से मिलने पहुँचे। नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर, उपाध्यक्ष मनीष बघेल व पार्षदो ने स्वयं सभी कर्मचारियों की मांगों को सुनकर उनकी लगभग सभी मांगों को मान लिया गया। सीएमओ अशोक चौहान ने भी नियम का हवाला देकर कर्मचारियों की अधिकांश मांग को स्वीकार कर लिया गया। उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि प्रदेश सरकार व शासन के द्वारा नगरीय प्रशासन को मिलने वाली चुंगीकर आदि में देरी व कटौती के कारण ही वे समय पर वेतन नही दे पाए वही उन्होंने जमादार की त्रुटि बताते हुए उन्हें लम्बे समय से सफाई सामग्री नही दिये जाने की बात को स्वीकारा वही एकाउंटेंट की छुट्टी की बात करते हुए उनके वेतन से ऋण राशि का सम्बन्धित बैंकों को नही दिए जाने की बात भी मानी। सभी मांग को सुधार कर समय पर वेतन आदि देने व शासन की योजनाओं से लाभान्वित करने की बात पर भी बात बनते नही दिखी। सफाई कर्मचारियों का कहना है कि वे पहले भी आश्वासन पर ठगे गए थे इसलिये लिखित आश्वासन व जिम्मेदार व्यक्ति अथवा क्षेत्र के विधायक यदि उनकी मांग स्वीकारते है तो ही वे इस बार हड़ताल समाप्त करेंगे। अब जब सभी मांग स्वीकार कर ली गई तो सीएमओ द्वारा उन्हें लिखित आश्वासन क्यों नही दिया जा रहा है यह समझ से परे है। वही नगर के एसडीएम के समक्ष भी ये सफाई कर्मचारी आवेदन कर चुके है लेकिन सुस्त एसडीएम न इनकी समस्या का समाधान कर पा रहे है और ना ही इनके कार्यालय के समक्ष ही बैठे ऐठ लेन राष्ट्रीय मार्ग के मुआवजे को लेकर बैठे ग्रामीणों की समस्या का समाधान हो पाया है।
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