रितेश गुप्ता, थांदला
कहते है जब से थान्दला नगर बसा है उसके पूर्व से शीतला माताजी का अस्तित्व यहाँ स्थापित है। नगर के लगभग हर हिन्दू घर परिवार में हर मांगलिक प्रसंग पर तो माताजी की पूजा की जाती है वही किसी व्यक्ति खासकर बच्चों में माताजी निकलने पर (चिकनपॉक्स) माताजी का चरणामृत चमत्कारिक औषधि की तरह काम करता है। ऐसा कोई घर नही होगा जहाँ माताजी की कृपा नही हो। माताजी की प्राण प्रतिष्ठा पर प्राजापति समाज द्वारा आयोजित पंच दिवसीय कार्यक्रम के तहत आज भव्य कलश यात्रा का आयोजन किया गया साथ ही एक बग्गी में नानू भाई प्रजापत व श्रीमती कोदी बाई प्रजापत सजोडे कलश लेकर बैठे थे वही दूसरी बग्गी में गेंदालाल प्रजापत श्रीमती फूली बाई सजोडे मूर्ति की सेवा पूजा करते हुए थे। समाज के अध्यक्ष कैलाश प्रजापत, मन्दिर समिति अध्यक्ष सचिन प्रजापत, सचिव कमलेश प्रजापत व प्रवक्ता गोपाल प्रजापत ने बताया कि माताजी की नव निर्मित मूर्ति को प्राजापति धर्मशाला से बैंड बाजों व ढोल नगाड़ों के साथ भव्य कलश यात्रा द्वारा नगर के मुख्य मार्गो से होते हुए मूल मन्दिर पर लाया गया। यहाँ कलश यात्रा भव्य धर्मसभा के रूप में परिवर्तित हो गई। धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए महन्त 1008 दयारामदासजी महाराज ने कहा कि हर धार्मिक आयोजन समाज मे जाग्रति लाता है। हिन्दू संस्कृति की विशेषता ही धार्मिक पर्वों से है। इन अनुष्ठान आयोजन में सन्तो के आगमन से युवा पीढ़ी में भी धार्मिक संस्कारों का बीजारोपण होता है जिससे वे व्यसनों से दूर हो जाते है और उनकी धार्मिक आर्थिक उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते है। इस अवसर पर पधारें पिपलखुटा महंत 1008 दयारामदासजी महाराज, गोपालदासजी महाराज, चिंतामणीजी महाराज, ईश्वरदासजी महाराज, पूजारी समरथ भाई, नागरिक बैंक पूर्वाध्यक्ष पुरुषोत्तमजी प्राजापत, नगर परिषद अध्यक्ष बंटी डामोर, भाजपा जिला उपाध्यक्ष विश्वास सोनी, रोटरी क्लब अध्यक्ष महेश प्रजापत, समाजसेवी रुसमालजी चरपोटा, अशोक अरोड़ा, श्रीकांत भट्ट, शीतल भाई, राजू धानक, कालू पंचाल, संतोष प्रजापत, दिनेश भाई, कविता बुआ आदि का स्वागत सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्राजापति समाज से संचालक मोहन गढ़वाल ने किया। आयोजन में नगर के जनप्रतिनिधिय, गणमान्य नागरिक, पत्रकार व समाज के वरिष्ठ शंभूलाल प्राजापति, वरदीचंद प्रजापत, समाज के उपाध्यक्ष योगेश प्रजापत, कालू प्रजापत, महेश गढ़वाल, नीलेश गढ़वाल, नन्दू प्रजापत, प्रमोद प्रजापत, जगदीश प्रजापत आदि के साथ झाबुआ, मेघनगर, कुशलगढ़ व आसपास के क्षेत्रों के सैकड़ो प्राजापति समाज के महिला पुरुष युवा आदि भक्तजन शामिल हुए।
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