योगेन्द्र राठौड़ सोंडवा
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सोंडवा तहसील मुख्यालय पर आये दिन ऐसे नजारे देखने को मिल जाते है ।जिससे यातायात व्यवस्था तो प्रभावित होती ही है। पर लोगो कि जान पर खतरा भी मंडराया रहता है। पर किसे फ़िक्र है ।ना पुलिस प्रशासन को ना शासन के नुमाइंदा को। पर सवाल यह उठता है कि अगर ऐसे वाहनो से दुर्घटना होती है तो इसका जवाबदार कौन होगा। गाडी मालिक जो कुछ ज्यादा ₹ की लालच मे अपने वाहन की क्षमता से अधिक का माल ढो रहा है ।या वो जिसने इस भारी माल को खरीदा और चंद ₹ परिवहन पर बचाने के चक्कर मे दुर्घटना को नजर अंदाज कर दिया। या शासन प्रशासन की प्रणाली जो यह सोच रखती है कि दुर्घटना होगी उसके पास थोडी दिखावे की कार्रवाई करदेगे फिर सब चलता रहेगा।
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