कड़वापाडा में आरईएस विभाग ने 49 लाख की लागत से बनाया था तालाब, श्रमिकों को 12 माह से हैं मजदूरी का इंतजार

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भूपेंद्र बरमडंलिया, मेघनगर

मेघनगर गांवों के विकास का आधार बन चुकी मनरेगा योजना पर इन दिनों संकट के बादल गहरा रहे हैं। ठेकेदार और अधिकारी इस सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को चूना लगा रहे हैं। अपनी मनमानी के चलते मजदूरों से काम करवा कर समय पर नही देते हैं मजदूरों को उनकी मजदूरी का पैसा, यहाँ 12 महीने से अधिक समय हो गया लेकिन आज तक इन गरीब मजदूरों को इनके द्वारा की कीगई मजदूरी के पैसो का भुकतान नही किया जा रहा। पूरा मामला आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले का हैं यहाँ जनपत पंचायत मेघनगर की ग्राम पंचायत कड़वापाडा में आरईएस विभाग द्वारा 49 लाख की लागत से बनाया गया तालाब में लगभग सैकड़ो मज़दूरो द्वारा कड़ी मजदूरी कर तालाब बना गया लेकिन आज तक इन मजदूरो को मजदूरी का भुकतान नही मिला हैं! मजदूरों कहना हैं की कितनी बार तालाब बनाने वाले ठेकेदार के पास गए लेकिन ठेकेदार द्वारा सही जबाब नही दिया जाता था और चीला चोट कर भगा देता हैं। कई बार विभागीय सब इंजीनियर से बात की तो उनका कहता हैं कि आपके खाते में मजदूरी का पैसा आ जाएगा। मजदूरों द्वारा बैंक के भी रोजाना चक्कर लागये लेकिन बैंक में अभी तक पैसा जमा नही हुआ। आखिर कैसे मजदूर अपना गुजर बसर करेंगे जब तक इन मजदूरों को इन की मेहनत से की गई मजदूरी का पैसा नही मिलेगा। मजदूर कभी ठेकेदार तो कभी इंजीनियरिंग अधिकारियों के तो कभी बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं। योजना के तहत पंचायतों ने लाखों रुपए के काम करवा दिए लेकिन यहाँ 12 महीने से मजदूरों का भुगतान नही हो रहा हैं। मजदूरों ने कभी जनपद तो कभी जिपं के तो कभी ठेकेदार तो कभी अधिकारियों के आपिस तो कभी बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन इन मजदूरों को ठेकेदार और अधिकारियों का सही ढंग से जवाब नही मिलता टाल मटोल कर बात को खुमा देते हैं। और इन मजदूरों को जैसे तैसे कर भगा देते हैं।

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