लोकेंद्र चाणोदिया, बामनिया
प्रसिद्ध (प्रख्यात)कथा वाचक प्रकांड पंडित अमरगढ़ निवासी मोहनलाल त्रिपाठी “आचार्य”(शास्त्री) त्रिपाठी का विगत रात्रि को आकस्मिक निधन हो गया। शास्त्री जी के स्वर्गलोक जाने की दुःखद सूचना मिलते है क्षेत्र में शोक की लहर छा गई,त्रिपाठी क्षेत्र में शतचण्डी यज्ञ के लिए भी प्रसिद्ध थे। त्रिपाठी भागवत कथा वाचक के रूप में क्षेत्र सहित आसपास के क्षेत्र में ही नही अपितु निकटतम राज्य गुजरात राजस्थान में भी गहरी पैठ थी ज्योतिषी एवं यज्ञादिक कर्मकांड के रूप में प्रसिद्ध थे। इन्होंने पंडिताई में शास्त्री एव आचार्य की उपाधि प्राप्त की हुई थी, यह एक बहुत ही सरल व सहज स्वभाव के नवाचार वाले समाजिक परामर्शदाता भी थे।साथ ही साथ संस्कृत के भी ख्यातिप्राप्त विद्वानों की श्रेणी में जाने जाते थे,आप संस्कृत में एमए व आचार्य जो मास्टर डिग्री के समकक्ष मानी जाती है किये हुए थे। इनका असमय स्वर्गलोक में चले जाना क्षेत्र के लिये अक्षुण्ण क्षति है। सुसंस्कारित समाज हेतु एक सँस्कृत विद्यालय की अभिकल्पित ,अभिलाषा को सँजोये दुनिया से कूच कर गए, वर्तमान में यह बामनिया माँ अंबिका माताजी मंदिर के सेवक ओर माँ के अनन्य भक्त भी थे ! यह अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए। इनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में समाजजन, नगर वासी, एव आसपास से भक्त शामिल हुवे।
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