EXCLUSIVE: नहर का काम अधूरा, नही सुनी किसानो की, अब खेतो में भराया पानी …

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Salman Shaikh@ Jhabua Live

पेटलावद। पिछले 3 वर्षो से ग्रामीण किसान माही नहर का इंतजार कर रहे है, लेकिन नहर है कि जहां तक बनी थी वहां से आगे बढऩे का नाम ही नही ले रही है और फिर अब बारिश ने किसानो की उम्मीद पर पानी फेरने का काम किया है। इसमें विभागीय अधिकारियो का लापरवाही सामने आ रही है।

मामला पेटलावद के ग्राम बावड़ी का है। दरअसल, यहां पिछले 3 वर्षो से माही नहर को पूरा करने का कार्य चल रहा है, लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते कार्य 3 वर्षा बाद भी पूर्ण नही हो सका। यहां हर बारिश में किसानो को दिक्कतो और परेशानियो का सामना करना पड़ता है। जहां पुल बनाने थे वहां पुल नही बनाए गए। जिसका खामियाजा ग्रामीणजन भुगत रहे है।

हर वर्ष नहर गहरी होने की बजाय भरा रही है-

ग्रामीण किसानो ने बताया हर वर्ष विभागीय अधिकारी अपनी लापरवाही और उनकी गलती छिपाने के लिए बावड़ी के किसानों को बदनाम करते है। हर बारिश में ऐसे ही पानी नहर के अंदर गिरता है साइड की मिट्टी टोटल सब नहर के अंदर गिर जाती है और जिस समय पर किसानों को पानी देना होता है उस समय यह सफाई करने निकलते हैं और इनकी सफाई भी कोई ढंग से नहीं होती और अभी यह भी देखने वाली बात होती है की गर्मी के 3 महीने में यह नहर का काम पूरा नहीं कर सके, अभी भी नहर अधूरी पड़ी है और आगे की किसानों को बोला जा रहा है कि नहर कंप्लीट हो गई है। अब देखने वाली बात यह है कि जब नवंबर आएगा तब पानी कैसे ले जाया जाएगा फिर वही बात दोहराई जाएगी, पिछले 3 सालों से जो हो रही है।

खाई निकलती थी, तीन जगहो का पानी मिलता था-

ग्रामीण किसान जितेंद्र पाटीदार ने बताया जब इस नहर का कार्य शुरू नही हुआ था, उससे पहले एक खाई यहां से निकलती थी, जहां तीन स्थानो का पानी आकर मिलता था ओर आगे निकलता था, लेकिन नहर का कार्य शुरू होने के बाद विभागीय अधिकारियो ने पुल बनाने का आश्वास दिया था, लेकिन वह पुल नही बन पाए, जिसके कारण अब किसानो के खेतो में पानी भरा गया। वहीं नहर में एक स्थान ऐसा भी है जहां पुल अधूरा होने से 60 फीट गहरी खाई में उतरकर पार करते है। अगर कहीं भी थोड़ी सी चूक हुई तो समझो मौत को मुंह लगाना, लेकिन फिर भी अधिकारियो की जू नही रेंग रही।

नहर निर्माण में ग्रामीणो की नुकसानी के लंबित पड़े प्रकरण-

उल्लैखनीय है कि नहर निर्माण में पिछले 2 साल में जितना भी ब्लास्टिंग का काम हुआ, उसमें किसानो की खडी फसल मे नुकसान, मकान मे नुकसान, बगीचो मे नुकसान, सभी के प्रकरण लंबीत पडे है। हर दो महीनो मे किसान के पास अधिकारी नए-नए कागज लेकर जाते है और बाद भी सब दावे हवा हवाई हो जाते है। इस बार फिर यही बात  दोहराई जाएगी क्योकि गर्मी के दिनो मे किसानों के खेत खाली पड़े थे तब यहां कोई काम करने नहीं आया, जो काम अधूरा है वही काम खड़ी फसल में फिर करेंगे जो कि ब्लास्टिंग का है। किसान पिछले 2 सालों से नुकसान सहन कर रहे हैं अब देखने वाली बात है कि इन अधिकारियों को कब शर्म आएगी जो किसान अपनी दिन रात मेहनत करके खून पसीना एक करके मेहनत करता है और उसकी फसल नुकसानी के नाम पर ऊंट के मुंह में जीरा जैसा काम किया जाता है।

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