जिला प्रशासन को शिक्षा से कोई सरोकार नही, नन्हे मुन्ने बच्चे कर रहे पलायन – महेश पटेल

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आलीराजपुर जिले में शिक्षा के स्तर को आगे बढ़ाने की दिशा में जिला प्रशासन को कोई अभिरुचि नही है। यही कारण है, कि जिले के गरीब आदिवासी नन्हे मुन्ने बच्चे अपने माता पिता के साथ बढ़ी संख्या में प्रतिदिन पलायन कर रहे हैं। उक्त आरोप लगाते हुए जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेश पटेल ने बताया कि जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग, जन जातीय कार्य विभाग की निष्क्रियता ओर लापरवाही की वजह से जिले में निरन्तर शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। करीब 400 शिक्षको के इधर से उधर नियम विरुद्ध अटेचमेंट कर रखे हैं, जिसकी वजह से जिले के ग्रामीण क्षेत्रो की करीब 500 स्कूले बन्द पड़ी रहती है। ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक अधिकारियों की सेटिंग ओर आर्थिक लेन देन करके नगरीय क्षेत्रों में अपने मनमाने स्थान पर आ गए हैं। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भगवान भरोसे है। शिक्षा से वंचित ऐसे बच्चे मजबूरी में अपने माता पिता के साथ बाहरी जिलों में मजदूरी हेतु रोज पलायन कर रहे हैं। यात्री बसों में पलायन करने वाले बच्चो के दृश्य स्थानीय बस स्टैंड पर प्रतिदिन देखे जा सकते हैं। जिन बच्चो के अध्ययन करने की उम्र है, वे बच्चे पलायन के लिए मजबूर है। शिक्षा को बढ़ाने के लिए शासन से करोड़ो अरबो रुपयों की योजनाएं आती है, पर जिम्मेदार जिला अधिकारी इसका ईमानदारी से क्रियान्वयन नही करते है, और रुपयों की बन्दरबाँट कर लेते है। अनेक ऐसे शिक्षक भी है, जो जवाबदारी का ईमानदारी से निर्वहन नही करते हैं। यही कारण है, कि हर वर्ष आलीराजपुर जिले का रिजल्ट पूरे प्रदेश में फिसड्डी ओर शर्मनाक रहता है। शिक्षा विभाग के अधिकारी भ्रष्ट्राचार में डूबे हुए हैं।उनको बेहतर शिक्षा के ग्राफ को ऊंचा उठाने के प्रति कोई सरोकार नही है। इस मामले में पिछली भाजपा सरकार ने भी 15 वर्षों में कोई सकारात्मक कदम नही बढ़ाएं। पूर्व में प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब गांव गांव में फलिया स्कूल, पोरियावाडी आदि शिक्षण संस्थान खोल कर ग्रामीण बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित किया था। परंतु उसके बाद भाजपा सरकार और उनके कृपा पात्र अधिकारियों ने शिक्षा नीति पर ऐसा पलीता मारा कि आज शिक्षा से मुंह मोड़ कर बच्चे बाहर मजदूरी के लिए विवश हो रहे हैं।पटेल ने बताया कि जिस प्रकार जिला प्रशासन हर चुनाव में मतदातों को जागरूक करने के लिए बढ़े बढ़े अभियान चलाता है, और लाखों रुपया फूंकता है, उसी प्रकार शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए भी गांव गांव अभियान चलाना चाहिए। और बच्चो ओर माता पिता को शिक्षा के प्रति प्रेरित करना चाहिए।जिला प्रशासन की उदासीनता इस बात की परिचायक है, कि वह इस आदिवासी जिले को पिछड़ा, गरीब ओर शोषित ही रहने देना चाहता है। इस पूरे मामले में जिला प्रशासन के खिलाफ अपना कड़ा आक्रोश व्यक्त करते हुए महेश पटेल ने बताया कि आगामी 24 जून को प्रदेश के मुख्यमंत्री झाबुआ दौरे पर आ रहे हैं। उन्हें इस सम्पूर्ण स्थिति से अवगत करवाकर जिला प्रशासन के जवाबदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही हेतु शिकायत की जाएगी।

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