झाबुआ live डेस्क ” EXCLUSIVE ” report
पेटलावद के 4 भाईयो का परिवार ना सिर्फ पेटलावद बल्कि पेटलावद के जैन समाज के लिऐ ” कलंक” साबित हुआ । इस परिवार ने अपने एक भाई को इसी तरह के हादसे मे गंवाने के बाद भी लालच नही छोडा ओर मौत के सौदागर बन मौत का धंधा करते रहे । झाबुआ live की इस पड़ताल मे जानिए इन मौत के सौदागरो का सच ।
कहने को जिम्मेदार पद लेकिन —
पेटलावद का कासवा परिवार यु तो अहिंसा की बातो का बादशाह था ओर समाज के महत्वपूर्ण पदो पर कब्जा किये हुआ था लेकिन मुंह मे राम – बगल मे छुरी तज॔ पर यह सभी भाई मौत का सामान नियम विरुद्ध बेचते थे । सुत्र बताते है कि इन अंहिसा के पुजारियो द्वारा बीते दो दशक मे जो विस्फोटक मछली मारने वालो को बेचे गये उनसे दो दशक मे करोडो मछलीया ओर जल जीव मारे जा चुके है ओर मछली मारने के चक्कर मे कई लोगो के हाथ उड गये तो कई अंधे हो गये है तो कुछ ने जान गँवा दी है । ओर शनिवार को इन मौत के सौदागरो ने करीब 150 जिंदगी तबाह कर दी । मौत 93 हुई है मगर जो अंग भंग हो गये है वह ज़िंदगीया भी तबाह ही मानी जानी चाहिऐ ।
संभवत देश का पहला जैनी है जिस पर 1 लाख का ईनाम है —
आम मान्यता है कि जैन समाज अपराध ओर अपराधी से दूर रहता है मगर राजेंद्र कासना ने इस मामले मे भी जैन समाज की प्रतिष्ठा को ठेस इस मायने में पहुँचाई है कि जैन समाज के किसी व्यक्ति पर 1 लाख रुपये का ईनाम संभवत देश मे पहली बार किसी सरकार को रखना पडा ओर खुद मुख्यमंत्री को राजेंद्र कासवा पर यह ईनाम घोषित करना पडा । हालांकि अपराधी का कोई धर्म नही होता मगर जिस तरह से कासवा बंधुओ ने पेटलावद के तेरापंथी संगठन मे अपनी मनमानी चला रखी थी उससे अब पेटलावद समाज को मुक्त होने का वक्त है ।
( पेटलावद ब्लास्ट ओर कासवाओ पर लगातार खबरों के लिऐ जरुर पढते रहिऐ झाबुआ live )