पियुष चन्देल, अलीराजपुर
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“खून की न कोई जात होती है, न तो कोई धर्म होता है, और न कोई सम्प्रदाय। इसे किसी ना तो फेक्ट्री में नही बनाया जा सकता है, और ना ही यह किसी मेडिकल स्टोर्स से खरीदा जा सकता है l यह तो सिर्फ और सिर्फ मानव शरीर में ही निर्मित होता है l किसी को आकस्मिक दुर्घटना, शिशु जन्म के समय, सिकलसेल्स एनीमिया, कैंसर, थैलीसीमिया, एनीमिया, डेंगू आदि बीमारियों में एव किसी प्रकार के ऑपरेशन आदि कारणो से रक्त की आवश्यकता हो सकती है। ये जितनी बीमारियां है, वो किसी जात, धर्म और संप्रदाय को देखकर नही लगती है।”
मानव धर्म के नाते रक्तदान करे और करवाने के लिए प्रेरित करे, क्योंकि आपके द्वारा दिया गया रक्त किसी अनजान व्यक्ति की जान बचा सकता है l जिससे आपको मरीज की, उसके परिवार की और रिश्तेदारों की अनन्त दुआएं मिलेगी। ”
उक्त विचार टीम रक्तदुत की बैठक में सदस्यों द्वारा रखे गए। साथ ही रक्तदान की जन जागृति के लिए एक छोटा सा प्रयास करते हुए डॉ. प्रमेय रेवड़ियां ने बताया कि स्व. श्री समरथमल (नेत्रदानी) जगन्नाथ जी गुप्ता की प्रथम पुण्य स्मृति में विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन टीम रक्तदुत के सहयोग से 4 अप्रैल गुरुवार को प्रातः 10 बजे से वैष्णव चौक, पोस्ट ऑफिस के पास बहारपूरा अलीराजपुर में किया जाना है।
उक्त शिविर में श्री दशा वैष्णव पोरवाड़ समाज एव हवेली परिवार, मधुर सेवा समिति अलीराजपुर व टीम रक्तदुत अलीराजपुर ने सर्व समाज से अधिक से अधिक संख्या में रक्तदान करने की अपील करते हुए रक्तदान और नेत्रदान को अपने परिवार और समाज की परम्परा बनाने का भी आव्हान किया है।
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