मान्यता :- माता को अर्पित किए जल को बचाकर पूरे घर मे छीट देने से बनी रहती माता की कृपा
लवेश स्वर्णकार @पन्नालाल पाटीदार$रायपुरिया
ग्राम के बस स्टेंड स्थित शीतला माता मंदिर पर रंग पंचम के दिन महिला भजन संगीत का आयोजन किया गया था छट याने आज माताजी के मंदिर पर 51 दीप प्रजवलित किए गए है और सुंदरकांड का भी आयोजन किया जाना है । कल शीतला सप्तमी है । दरअसल चैत्र महीने के कृष्णपक्ष की सप्तमी को शीतला सप्तमी मनाई जाती है। इस दिन शीतला माता की पूजा अर्चना की जाती है। शीतला सप्तमी का वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है। इसके अनुसार देवी शीतल को दुर्गा और पार्वती का अवतार माना गया है मान्यता है इन्हें रोगों से उपचार की शक्ति प्राप्त है। इस दिन लोग सूर्योदय से पहले उठकर ठंडे जल से स्नान करते हैं। इसके बाद शीतला माता के मंदिर में जाकर देवी को ठंडा जल अर्पित करके उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं। श्रीफल अर्पित करते हैं और एक दिन पूर्व पानी में भिगोई हुई चने की दाल चढ़ाते है। शीतला माता को ठंडे भोजन का नैवेद्य लगता है इसलिए भोजन एक दिन पहले रात में बनाकर रख लिया जाता है।
शीतला सप्तमी की कथा सुनने के बाद घर आकर मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओर हल्दी से हाथ के पांच पांच छापे लगाए जाते हैं। जो जल शीतला माता को अर्पित किया जाता है उसमें से थोड़ा सा बचाकर घर लाते हैं और उसे पूरे घर में छींट देते हैं। इससे शीतला माता की कृपा बनी रहती है और रोगों से घर की सुरक्षा होती है। शीतला सप्तमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है।
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