आतंंकी हमले के बाद वरिष्ठ वकील जगदीशचंद्र नीमा ने अपना दर्द बयां करते हुए देशवासियों को एक ‘खुला खत’ लिखा है। खत में एडवोकेट नीमा ने लिखा कि पिछले कुछ समय से कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा निरंतर पठानकोट, उरी एवं पुलवामा में सुरक्षा बलों पर हमले किए गए। शिक्षा के बजाय क्षेत्र के युवाओं को पत्थरबाज बनाकर सुरक्षा बलों पर भारी नुकसान पहुंचाया जाता रहा है, और गद्दार राजनेताओं द्वारा भारतीय सेना पर उंगलिया उठाकर उनका मनोबल गिराने का प्रयास किया जा रहा है जिसका दुखद परिणाम आदम डार (पत्थरबाज) के रूप में हमारे सामने है। यहीं नहीं जेएनयू तथा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अफजल गुरु के नाम पर देश के नौजवानों को बरगला कर उन्हें आतंकी बनाया जा रहा है। उरी की तरह पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद सैनिकों प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने और कैंडल मार्च करने तथा सोशल मीडिया एवं टीवी पर निरंतर बहस एवं विरोध प्रदर्शन करने से कुछ नहीं होने वाला है। उन्होंने देशासियों से कहा कि अब एकमात्र विकल्प बचा है हमें हमारी बहादुर सेना को यह जताना है कि पूरा देश उनके साथ है इसके लिए, चलो श्रीनगर (कश्मीर) दिन नियत कर कम से कम एक करोड़ लोगों को श्रीनगर के लालचौक पहुंचाना है, पाकिस्तान (नापाक) द्वारा प्रायोजित जेश-ए-मोहम्मद द्वारा धोखे से हमोर 42 रणबाकुरों को शहीद करने वालों और देश के गद्दारों तथा पाक समर्थक नेताओं को यह बताना है कि भारत के 130 करोड़ लोग नापाक को धूल चटाने के लिए अपनी बहादुर सेना के साथ है। याद करो 75 वर्षीय बूढ़ी गोल्डा मायर इजराइल की प्रधानमंत्री को, जो टारगेट को मारने से पहले बूर्के भेजती थी, जिसमें लिखा होता था ये याद दिलाने की हम न तो भूलते हैं और ना ही माफ करते हैं, और उसके बाद आतंकी के जिस्म में एक-एक कर 11गोलिया दाग दी जाती थी। उन्होंने खत में लिखा कि 5 सितंबर 1972 को जर्मनी में आयोजित ओलम्पिक में फिलिस्तानी लिबरेशन ओर्गेनाइजेशन के आतंकियों ने इजराइल के 11 खिलाडिय़ों को पराए मुल्क में मार डाला था। गोल्डा मायर ने 48 घंटों में अनेक स्थानों पर स्थिति फिलिस्तीन के 10 कैंपों पर एयर स्ट्राइक कर 200 आतंकियों को मार दिया। मोसाद (इंटेलिजेंस एजेंसी) ने 20 साल तक अभियान चलाकर दुनियाभर फैले फिलिस्तीनी आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत कर दिया था।
अमेरिका और ने गत 2 वर्षों में रातदिन मिसाइले दाग कर सीरिया के दूरदराज एवं पहाड़ी इलाकों में छिपे आईएसआईएस को लगभग अस्तित्वहीन कर दिया। सोचे कश्मीर में आतंकवादियों के रहनुमाओं पर हम उनके मौज शौक हेतु प्रतिवर्ष दस करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं। हम विगत 70 वर्षों से विदेशी अंग्रेजों और तत्कालीन सत्तालोलुपों के अपवित्र गठबंधन से उपजे भारतीय संविधान के अनुच्छेद के 370 व 35 (अ) के कारण रुपए की धनराशि जो कश्मीर को वास्तविकता में श्विस की स्वर्ग बन देती है, लाखों सैनिकों को शहीद बना चुके हैं। उनकी पत्नियों को बेवा व बूढे मां-बाप तथा बच्चों को असहाय बना चुके हैं। तीन-तीन तोपे गए युद्धों में हम देश की कितने सैनिकों को गंवा चुके हैं। इसलिए अब समय आ गया है कि हमारे हुक्मरानों को जगाने और घडिय़ाली आंसू बहाने वाले राजनेताओं को सचेत करने का।
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