सलमान शैख़, पेटलावद
शहर में सुबह से शाम तक सैकड़ों ओवरलोड बसे और वाहन बेरोकटोक दौड़ते रहे। हजारों लोग वाहनों पर लटकते हुए गए। एक भी स्थान पर पुलिस नजर नहीं आई। यही नहीं पुलिस ने इस संवेदनशील मौके पर सुरक्षा व ट्रैफिक व्यवस्था को भगवान भरोसे छोड़े रखा। क्योकि यहां एक भी पुलिस जवान नियुक्ति नही हैं।
बतो दे कि 4 फरवरी से यातायात सप्ताह की शुरूआत हुई थी और रविवार 10 फरवरी तक यातायात सप्ताह समाप्त हो गया, लेकिन शुरूआत से अंत तक यह 30वां यातायात सप्ताह भी ऐसे ही व्यवस्थाओ का मखौल उड़ाता गुजर गया। शहर में न तो यातायात व्यवस्थाओ को सुचारू करने के लिए किसी ने ठोस कदम उठाए और न ही लोगो ने इस सप्ताह की ओर अपना ध्यान दिया।
रेंग रहा ट्रैफिक, 5 मिनट के सफर में 15 मिनट लग रहे:
शहर में अतिक्रमण से संकरी हुई सडक़ों पर अव्यवस्थित ट्रैफिक से मुख्य बाजार में कई जगहों पर जाम लगता है। खास कर त्योहारी सीजन के दिन मुख्य सडक़ तो क्या आसपास की गलियों से भी निकलना दूभर हो जाता है। खासकर नया बस स्टैंड से लेकर गांधी चौक चोराहे तक करीब १ किमी लंबे रास्ते पर दर्जनों जगह सडक़ अव्यवस्थित वाहनों की वजह से पूरी तरह बंद हो जाती हैं। गांव से आने वाले ट्रैक्टर-ट्रॉली व अन्य वाहनों की व्यवस्थिति पार्किंग स्थिति और बिगाड़ देती है। इसी तरह रोड पर लगने वाले करीब आधा किमी लंबे सब्जी बाजार के दौरान यह महत्वपूर्ण मार्ग बंद हो जाता है। इस मार्ग पर अघोषित बस और ऑटो स्टैंड भी बना लिया गया है। इससे इस मार्ग को पार करना दूभर हो गया है।
ग्रामीण इलाकों में और भी खतरनाक हालात:
इधर मुख्यालय से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे अवैध वाहनों के कारण यातायात खतरे का दूसरा नाम बन गया है। रूपगढ़, मोईवागेली, झौंसर, उन्नई, बामनिया, बावड़ी, बरवेट सहित अन्य मार्गों पर रोजाना रजिस्ट्रेशन और परमिट बिना दर्जनों जीप, लोडिंग मिनि ट्रक व ऑटो हजारों लोगों को जानवरों की तरह ढो रहे हैं। ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। खास बात यह है कि यह वाहन थाने की सीमा से होकर गुजरते हैं, लेकिन क्षमता से पांच-सात गुना ज्यादा यात्री भरे होने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
यातायात प्रभारी नही होने बिगड़ रही व्यवस्था-
शहर में विगत 3 वर्ष पूर्व यानि 12 सितंबर 2015 को हुए ब्लास्ट के बाद शहर थाने में पदस्थ सभी पुलिस जवानों को हटा दिया गया था। उसके बाद से ही यहां यातायात प्रभारी का पद खाली होने से अवैध वाहनों का राज चल रहा है। शहरों में ट्रैफिक अमले की नाकामी से यातायात अव्यवस्थित है। आए दिन मैन बाजार में जाम लगता है। हाईवे किनारे खड़े ट्रांसपोर्टरों के वाहन दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। शहर में कई बार ट्रैफिक सुधार की घोषणा कर स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने चुप्पी साध रखी है। कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है।
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