पुलिस की कार्रवाई के बाद कई सट्टेबाज हुए भूमिगत

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
आम्बुआ कस्बे में विगत कई वर्षों से जुआ सट्टा का व्यवसाय चोरी छुपे चलाया जाता आ रहा था कभी-कभार खानापूर्ति हेतु प्रकरण बनाए जाते भी रहे प्रकरण सट्टा संचालक अपने किसी कार्यकर्ता के नाम से बनवा देते रहे तथा न्यायालय में दंड की राशि भरकर पुन: धंधे में शुरू कर देते थे। मगर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ की अवैध जुआ सट्टे पर कार्रवाई के आदेश के बाद पुलिस विभाग पूरी मुस्तैदी के साथ शिकंजा कसने में जुट गया है। इस कार्रवाई को कतिपय अवैध धंधे बाज पत्रकारों द्वारा कार्यवाही का दबाव बनाना निरूपित करने में जुटे हैं पुलिस कार्यवाही से कस्बे में शांति का माहौल कायम है क्या भविष्य में भी ऐसा ही माहौल रहेगा यह भविष्य बताएगा। आम्बुआ कस्बे में कुछ रसूखदार लोग तथा उनके पीछे अन्य लोग भी सट्टे व्यवसाय में लंबे समय से जुड़े रहकर शासन प्रशासन को खुली चुनौती देते है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि कभी भी ऐसी मजबूत कार्रवाई। इनके खिलाफ नहीं हुई जिसके कारण धंधा बंद होता। पर्ची सट्टा, डिब्बा तथा तितली भवरा और न जाने कितने नामों से यह व्यवसाय फलता फूलता रहा। क्योंकि यह धंधा जमानती जुर्म का माना जाता है तथा अधिकांशत: न्यायालय द्वारा आर्थिक दंड ही दिया जा रहा है। शायद इसी कारण सट्टे बाजार व्यवसायी अपने किसी कार्यकर्ता के नाम से वर्ष भर में एक दो प्रकरण कुछ नकदी आदि जप्त कर बनवा देते रहे तथा दंड भरते रहे ऐसे प्रकरण से सख्ती नहीं होने का नतीजा सबके सामने है धंधेबाज बेखौफ धंधे में लिप्त रहकर यह धंधा चोरी छुपे चलाया जाता रहा। इधर शासन परिवर्तन हुआ उधर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जुआ सट्टे बाजार आदि पर सख्ती की बात कही प्रशासन सक्रिय हुआ और अनेक स्थानों के साथ.साथ आम्बुआ पुलिस विभाग की सक्रियता के साथ कार्रवाई में जुटी परिणाम यह हुआ कि यह प्रकरण भी बने तथा कई धंधे बाज भूमिगत हो गए। कई धंधेबाज पत्रकारों का दबाव बना रहे हैं, जबकि सारी कार्रवाई शासन.प्रशासन की सख्ती का नतीजा है। नागरिकों की मांग है कि यह सख्ती भविष्य में भी बरकरार रहे ताकि कई परिवारों को बर्बादी से बचाया जा सके। कई नवयुवकों को गलत रास्ते से जाने से बचाया जा सके। पुलिस कार्रवाई की महिला वर्ग ने सराहना की क्योंकि सट्टेबाज पति या पुत्रों से महिलाएं अधिक परेशान रहती है।
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