दुर्घटना से बचाव के लिए लगाई लोहे की जाली के बाद भी ट्रैक्टर गिरा पुलिये के नीचे

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
कस्बे से लगभग 2 किलोमीटर दूर आंबुआ आजाद नगर मार्ग पर फुलझड़ी नाले पर बनी स्टेट समय की पुलिया दुर्घटनाओं का पर्याय बन चुकी है यहां अक्सर दुर्घटनाएं होती रहती है, कई मौत की नींद सो चुके हैं। पुलिया की दीवार के पास लोहे की जाली यह सोचकर लगा दी गई कि इस से दुर्घटना होने से बचा जा सकेगा। मगर दुर्घटनाएं अभी भी हो रही है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक फुलझड़ी नाले के अंधे मोड़ पर एक रियासत कालीन पुलिया बनी हुई है। इस पुलिया पर कब दुर्घटना हो जाए कहा नहीं जा सकता है वैसे भी दुर्घटनाएं आकस्मिक ही होती है। इस पुलिया के आसपास खजूर तथा विभिन्न प्रकार की झांकियां एवं पेड़ होने के कारण आंबुआ से आजाद नगर की ओर परिवहन करते समय सामने से कुछ भी दिखाई नहीं देता है। साथ ही आंबुआ की ओर से ढलान भी है जिस कारण वाहनों की गति तेज रहती है। विगत महीनों पुलिया के दोनों और गतिरोध बनाकर वाहनों की गति नियंत्रित करने का प्रयास लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया थ। बावजूद वाहन दुर्घटनाग्रस्त होते रहे अभी कुछ माह पूर्व पुलिया कि एक ओर की दीवार के पास लोहे की जाली लगाई गई तथा उस पर रेडियम लगाया गया ताकि रात्रि में यह जाली की दीवार दिखाई दे जाए। लोक निर्माण विभाग अपनी तरफ से दुर्घटना टालने का प्रयास कर रहा है। मगर इसके बाद भी दुर्घटनाएं हो रही है अभी हाल ही में 28 जनवरी 19 को एक ट्रैक्टर जिसमें ईंट भरी हुई थी दूसरी ओर से मुंडेर के ऊपर से नाले में जा गिरा वह तो अच्छा यह रहा कि ईंटो से भरी ट्राली ऊपर पुलिया पर अटक कर रुक गई वरना जनहानि भी हो सकती थी। इस पुलिया पर दुर्घटना कैसे रूके यह विचारणीय प्रश्न है। जानकारों के अनुसार जब पुलिया बनी होगी, तब सकड़ी पुलिया पर यातायात का दबाव कम था मगर अब इस पर से प्रतिदिन सैकड़ों वाहनों का आवागमन होता है। इसलिए पुलिया को चोड़ा तथा पुलिया के मोड को समाप्त कर सीधा बनाना जाना तथा जब तक पुलिया नहीं बनती है तब तक के लिए दोनों ओर की तरफ खड़े पेड़ झाडिय़ां काटकर ऐसा किया जाए ताकि मोड के पार तक आने जाने वाले वाहन दिखाई पड़े।
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