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स्थानीय लोगों के ओटले तोड़े,तम्बु भी हटे, लेकिन हाट बाजार मैदान में लोहे के चद्दरों वाली बर्तन ओर पलंग पेटी की दुकाने 18 दिन बाद भी नही हटी

लवेश स्वर्णकार,पन्नालाल पाटीदार, अजय पाटीदार, रायपुरिया

  रायपुरीया में कहि अतिक्रमण होता है तो यहां की पंचायत तुरन्त एक्शन में आती है और आना भी चाहिए जिम्मेदार पंचायत का यह कर्तव्य भी है । दरअसल जहां जहा ग्राम पंचायत को विकास के लिए नालियां या अन्य कोई कार्य करना होता है तब बीच मे रोड़ा बनने वाले ओटले आदि तोड़कर भी नालियां बनाई गई है । ग्राम विकास के लिए वार्ड क्रमांक 9 के रहवासियों ने अपने अपने ओटले तोड़कर या तुड़वाकर एक जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय देकर ग्राम विकास में सहभागी बने है । इसी तरह मुख्य मार्ग पर पंचायत भवन के सामने भी कई दुकानदार मेले के चलते अपनी दुकाने सड़क किनारे ले आए थे चुकी मुख्य मार्ग था यहाँ वाहनों को खड़े रहने के लिए सड़क किनारे जगह होना आवश्यक है इस तर्क के साथ ग्राम पंचायत ने इन रहवासीयो को तम्बु हटाने के नोटिस दिए यहाँ भी रहवासीयो ने पंचायत के नोटिस को सकारात्मक लिया ओर जिम्मेदार नागरिक होने का परिचय दिया । रहवासीयो ने नोटिस के बाद अपने तम्बु हटा लिए । इधर पंचायत ने मेले में बर्तन ओर पलंग पेटी की दुकानों को मेला अवधि के बाद हटाने का जिक्र मेले के प्रचार प्रसार वाले पोस्टर में किया था । दरअसल मेला 30 दिसम्बर को समाप्त हो गया था पंचायत के स्वयं के निर्णय के बाद यह दुकाने 30 दिसम्बर के बाद हट जाना थी लेकिन आज 17 जनवरी हो चुकी है । मेला खत्म होने के बाद 18 दिनों बाद भी ये दुकाने हाट बाजार मैदान में लोहे के चद्दरों से स्थाई लगी हुई है। विरोध इन बर्तन या पलंग पेटी की दुकानों का नही है विरोध इस बात का है की रायपुरिया के स्थानीय छोटे व्यापारी जो अपनी अस्थाई दुकाने रोजाना इसी हाट बाजार मैदान में लगाते है,वो रोजाना शाम को अपनी दुकान का सामान ठेलागाड़ी पर धकेलकर अपने घर ले जाते है ओर अगली सुबह फ़िर वही समान अपने घर से हाट बाजार ग्राउंड में ठेले पर धकेलकर लाते देखे जाते है।दूसरी तरफ इसी ग्राउंड में मेले में आए बाहरी बर्तन ओर पलंग पेटी के व्यापारी लोहे की चद्दरों से अपनी दुकानों को स्थाई बना रखा है विरोध बर्तन ओर पलंग पेटी की दुकानों का नही है विरोध इनके द्वारा स्थाई लगाई गई लोहे की चद्दरों का है । ग्राम के स्थानीय नागरिक जो छोटे व्यापारी है वो रोजाना जिस तरह अपनी दुकान का सामान अपने घर या किराए के कमरे तक ले जाते है उसी तरह यह बाहरी बर्तन ओर पलंग पेटी की दुकान वाले को भी अपने सामान रोजाना यहां ले जाए तो यह बाहरी ओर स्थानीय व्यापारी में समानता दर्शाएगा अन्यथा स्थानीय ओर बाहरी व्यपारियो में इस फर्क की चर्चा हर किसी को अचंभित कर रही है।
ग्राम पंचायत ने इन्हें बर्तन की दुकाने हटाने के लिए 6 जनवरी को नोटिस भी दिये थे लेकिन अब तक दुकाने नही हटी इधर ग्रामीणों का कहना है पंचायत के नोटिस का स्थानीय लोग तुरंत पालन करते है तो बाहरी दुकान वाले पालन क्यो नही करते ?

इनका कहना है-
सचिव मांगीलाल बिलवाल का कहना है हमने इन्हें हटाने के नोटिस भी दिए है और मौखिक भी कहा है अब इससे ज्यादा हम क्या कर सकते है।

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