कथा के चौथे दिन धुम-धाम से मनाया कृष्ण जन्मोत्सव नशा ही करना है तो संत्संग का करो ये वो नशा है जो एक बार चढ़ेगा तो कभी नही उतरेगा — प कमलकिशोर नागर 

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योगेंद्र राठौड़, सोंडवा

सोंडवा के वृन्दावन धाम में भागवत कथा के चतुर्थ दिवस श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया।कृष्ण जन्मोत्सव से पंडाल में मथुरा गोकुल सा माहौल हो गया।नन्द घर आनन्द भयो जय कन्हिया लाल की,हाथी घोड़ा पालकी की गूंज से माहौल भक्तिमय हो गया।कृष्ण जन्म पर हर कोई अपने को नाचने से ना रोक पाया। कथा के प्रारम्भ में बताया की मन,नयन ओर धन अच्छी जगह लगाना वरना नर्क में जाना तय है,सत्संग मे जाने से मन का मैल धुल जाता है,पानी से तन का मैल ओर वाणी से मन का मैल धुलता है। पूर्व जन्म का रुदन करने से अच्छा है कि इस जन्म में ही भजन करे ओर जन्म को प्रभु चरणों मे लगाए।भजन न भी हो सके तो भजन करने वालो की संगत मे रहो उसके साथ आप भी तर जाओगे। दुख भले भौग लेना पर दोष ना भोगना,दुख दोषो को कम करता है। पूंजी उधार मिल जाए पर पुण्य उधार नही मिलता। परमात्मा के यहाँ जाना है तो कथा में जाना जरूर,कथा ही ऐसा माध्यम है जो प्रभु के द्वार का रास्ता बताती है,हरि के गुण गाने से पाप कट जाता है। बारिश का महत्व बताते हुए कहा कि जब भी पहली बारिश में पानी आए तो उसका सत्कार करो वंदन करो अभिनन्दन करो क्योंकि पानी नारायण देवता है। मेने एक पर्ण लिया हुआ है मै बारिश मे छाते का उपयोग नही करता जाहे जितनी बारिश हो मै उसका स्वागत करता हूँ । उन्होंने आगे कहाँ यदि नशा ही करना है तो संत्संग का करो ये वो नशा है जो एक बार चढ़ेगा तो कभी नही उतरेगा ।कृष्ण जन्मोत्सव के समय आदिवासी नृत्य दल का भगोरिया नृत्य सबके आकर्षण का केंद्र रहा।डोल ओर मांदल की थाप पर हर कोई झुमे बगेर ना रह सका ।कथा की शुरुआत मे आदिवासी संस्कृति की पहचान झुलडी,तीर कमान,बोहलनी(बांस से बनी डलीया)चांदी के कड़े,राधा-कृष्ण की तस्वीर भेट की । छकतला महिला मंडल ने गो शाला के लिए 51000/- रु दान दिये।
हजारो की भीड़ उमड़ी जिससे पंडाल भी छोटा पड़ने लगा।बड़ी संख्या में श्रद्धालु अलीराजपुर ,छकतला,मनावर,बड़वानी,खरगोन,झाबुआ, खवासा,जोबट,कुक्षी,क्षेत्र से कथा का आनन्द लेने आए।

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