खुशियां, जो दे गया बीता वर्ष 2018, बदल गया साल, नहीं बदले सूरतेहाल

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सलमान शैख़, झाबुआ Live..
विदा होता वर्ष 2018 कई मीठी यादें नववर्ष 2019 की झोली में डालकर जा रहा है, इस उम्मीद के साथ कि नए साल का दामन भी अच्छाइयों से भरा रहे।
सियासी और आर्थिक हालातों की बीच नए साल की शुरुआत जितनी उम्मदों भरी हैं, उतनी ही बेचैन करने वाली भी है।
पेटलावदवासियों को वर्ष 2019 के आगमन के साथ ही नए विकास एवं नई उम्मीदों की किरण के साथ ही सौगात मिलने का पूरे वर्ष इंतजार रहेगा। बीते वर्ष मेंं भी पेटलावदवासियों को खास उम्मीदें थी, लेकिन वर्ष 2018 कुछ अच्छा नहीं बीता है। शहर को विकास की जो सौगात मिलनी चाहिए थी, उनमें से अधिकांश उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई। पिछले वर्ष न अच्छी बरसात हो पाई और नहीं विकास को चार चांद लगे। यही वजह रही कि यह वर्ष अंचल की भाजपा सरकार का भी अन्तिम वर्ष बन गया। ऐसे में शहरवासियों को अब नई सरकार से विकास की उम्मीदें भी ज्यादा हैं।
पेटलावद शहर प्रदेश का अभिन्न अंग होने के बाद भी यहां पर जिस तरह विकास होना चाहिए। वैसा विकास नहीं हो पाया है जबकि यह क्षेत्र भाजपा का गढ़ है और हमेशा ही यहां भाजपा पार्टी का वर्चस्त रहा है वर्तमान में नगर सरकार में भाजपा पार्टी का ही वर्चस्व है फिर भी शहर का कायाकल्प नहीं हो पा रहा है शहर की हालत आज भी दयनीय बनी हुई है जहाँ पर सफाई व्यवस्था, स्ट्रीट लाईट, जर्जर सड़के, आवारा जानवर, पेयजल सप्लाई, बिजली समस्या से आज भी लोग परेशान है नए साल से काफी उम्मीद यहाँ के वाशिंदो को है।
पिछले कई सालों से पेटलावद के वासियों को कई बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर सपने दिखाए जा रहे है। ये सपने कब पूरे होंगे इसी उम्मीद में कई साल गुजर गए। अब वर्ष 2019 में कौन सी योजना पूरी होगी इसकी आस यहां के रहवासी लगाए हुए है।
*1. पानी की समस्या का हो समाधान:*
शहर को पिछले कई वर्षों से माही बांध के पानी का इंतजार है। शहर में कुछ शहर व कस्बों को छोड़ दे तो पानी की त्राहि-त्राहि मची हुई है। पेटलावद के ग्रामीण अंचलों में भी हालात बद से बदतर नजर आ रहे है। काफी मशक्कत के बाद लोगो को पानी मिल रहा है। लोगों को उम्मीद है कि माही डेम का पानी शीघ्र ही चोर बोराली बांध में डाला जाए और नहरों के माध्यम से ग्रामीण अंचल के कोने-कोने में पहुंचे और लोगों की प्यास बुझाए।
*2. सीवरेज का सपना हो साकार:*
शहर में नगर सरकार ने सीवरेज का सपना दिखाया था। उस वक्त शहर में सीवरेज डालने का कार्य भी हुआ था, लेकिन उसके बाद कार्य पर तो ब्रेक लग गए। ऐसे में लोगों को आस है कि सीवरेज का कार्य शीघ्र पूरा होगा।
*3. सीसीटीवी कैमरे लगे:* 
बढ़ते अपराधों को देखते हुए शहर में पिछले कई वर्षों से प्रमुख चौराहो पर सीसीटीवी कैमरो को लगाने की कमी खल रही है। हर बार शहर की सुरक्षा को लेकर उठाया गया यह प्रमुख मुद्दा हवा हवाई ही रह जाता है, नतीजतन शहर में तेजी से अपराधों का ग्राफ बढ़ रहा है। यदि शहर में प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी लग जाए तो निश्चित ही चोरी व अन्य अपराधों पर अंकुश लग सकता है।
*4. कसारबर्डी औद्योगिक विकास को आस:*
किसी भी क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ उसके आद्योगिक विकास के ताने-बाने से होती है। पेटलावद में कसारबर्डी औद्योगिक क्षेत्र का विकास हो और कई उद्योग पनपने की भी लोगों को उम्मीद है।
*5. पर्यटक स्थलों का हो विकास:*
पेटलावद अंचल में झकनावदा के शृंगेश्वर धाम, पेटलावद में नदी के किनारे स्थित प्राचीन भूतेश्वर महादेव फूटा मंदिर के अलावा भी कई पर्यटक स्थल है। शहर के एक कोने में स्थित फूटा तालाब को पर्यटक स्थलों में शामिल कर लिया जाए तो पयर्टन क्षेत्र के मानचित्र में पेटलावद का नाम भी शामिल हो जाए।
*6. क्षतिग्रस्त सड़कों की हो मरम्मत:*
शहर सहित अंचल में कुछ मुख्य सड़कों के अलावा ग्रामीण सड़कों की हालत खराब है। इन पर पग-पग पर हो रहे गड्ढों से सफर कठिन हो रहा है। यदि इन सड़कों की मरम्मत हो जाए तो अंचलवासियों को काफी सहलूयित मिल जाए।
*7. पम्पावती नदी का सौंदर्यीकरण:*
अपने अस्तित्व को तलाश रही नगर से गुजरी पवित्र पम्पावती नदी का इस वर्ष नगरवासियों को सौंदर्यीकरण की उम्मीद है। नगर सरकार ने चुनाव के वक्त अपने घोषणा पत्र में यह बात प्रमुख रूप से रखी थी, लेकिन वादो का क्या वादे वादे ही रहते है, कभी पूरे नही होते, लिहाजा आज पम्पावती नदी नदी नही एक नाला बनकर रह गई है। इस ओर अब जो कार्ययोजना है उस पर नगर सरकार को मोहर लगाना चाहिए ताकि नगर को एक सौगात मिल सके।
*8. जाम की समस्या:*
पेटलावद शहर जाम की गंभीर समस्या से जूज रहा है। शहर में दिन में कई बार ऐसे हालात होते हैं कि शहर जाम हो जाता है। इसका कारण है शहर में बायपास की कमी होना। इन सब हालातों को देखते हुए यह साफ है कि नगरवासियों को साल 2019 में भी इस समस्या से जूझना पड़ेगा।
*9. पार्किंग की समस्या:*
शहर की सबसे बड़ी व प्रमुख समस्याओं में से एक वाहन पार्किंग की समस्या से जल्द छुटकारा मिलने की उम्मीद नगरवासियों को है। नगर सरकार को चाहिए कि ऐसे स्थानों का चयन करे, जहां एक साथ सैकड़ो वाहन खड़े हो सके। ऐसे में इस वर्ष कई विकास कार्यो की सौगात मिलने की उम्मीद नगरवासी लगाकर बैठे है।
*10. सूव्यवस्थित पार्क की कमी:*
यह क्षेत्र जो कि भाजपा का गढ़ है। इसके बावजूद भी सरकार द्वारा कोई ऐसी बड़ी सौगात नहीं दी गई है। जिसे उपलब्धि के रूप में याद किया जाए। यहां पिछले कई वर्षों से एक सुव्यवस्थित पार्क की कमी खल रही है। यहां ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां परिवार के साथ जाया जा सके। कुछ वर्ष पहले एक पार्क बनाया जा रहा था, लेकिन वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और जनता का पैसा बर्बाद हो गया। इसके बाद कभी भी जनप्रतिनिधि या स्थानीय नेताओं द्वारा इसके लिए कोई प्रयास नहीं किए।
*11. सुव्यवस्थित बस स्टेंड का न होना:*
पिछले कई वर्षों से पेटलावद शहर सहित ग्रामीणांचल के लोग पेटलावद में एक सुव्यवस्थित बस स्टैंड की राह देख रहे है, लेकिन विडम्बना यह है कि बस स्टैंड की सौगात अभी तक जनता कप नसीब नही हो पाई है। ऐसा नही है कि शासन और सरकार द्वारा इस ओर प्रयास नही किये गए, प्रयास तो हुए, लेकिन बस स्टैंड कहां बने बस इसी का फैसला अभी तक नही हो पाया है। इसका प्रमुख कारण यह सामने आया कि कुछ स्वार्थी नेता अपने नजदीकी भूमाफियाओ की जमीन के पास बस स्टैंड बनाने को बेकाबू है, तो कुछ नेता इसमे कहीं भी कैसे भी रोड़ा अटकाने में लगे हुए है। नतीजतन जनता का यह सपना सपना बनकर ही रह गया। जनता को वर्ष 2019 में उम्मीद है कि यह सपना अब साकार हो और जल्द जनता को एक सुव्यवस्थित बस स्टैंड मिल सके।
*12. श्रद्धांजलि चौक पर बनने वाले मेमोरेबल में आई रुकावटे:*
वर्ष 2015 में 12 सितम्बर को हुए भयावह हादसा आज भी लोगो के जहन में है, उसे न तो पेटलावदवासी भुला सकते है न ही शासन-प्रशासन के नुमाइंदे।
क्योंकि उस हादसे में बेकसूर लोगो ने अपनी जान गंवाई थी, जिसके बाद खुद सीएम को लोगो का आक्रोश झेलना पड़ा था और सड़क पर बैठना पड़ा था।
सीएम शिवराजसिंह ने उस वक्त पीड़ितों को ढांढस बढ़ाते हुए कई बड़ी घोषणाए ओर वादे किए थे, कुछ पूरे भी हुए, लेकिन कुछ वादे आज भी अधूरे है।
इसमे सबसे प्रमुख घोषणा थी दिवंगतों की याद में श्रद्धांजलि स्वरूप मेमोरेबल बनाया जाएगा, लेकिन वह भी कहाँ बने इसका फैसला प्रशासन अभी तक नही कर पाया है, पीड़ित परिवार का कहना है कि मेमोरेबल श्रद्धांजलि चौक पर बने और प्रशासन यह चाहता है कि तहसील कार्यालय में शहीद स्मारक के पास मेमोरेबल बनाया जाये। बस इसी में यह घोषणा भी सिर्फ घोषणा बनकर रह गई।
*13. कृषि महाविद्यालय और प्राचार्य ओर प्रोफेसरों के पदों पर स्थाई नियुक्ति:*
शहर सहित अंचल के युवावर्ग पिछले कई वर्षों से एक तो कृषि महाविद्यालय ओर शासकीय महाविद्यालय में प्राचार्य व प्रोफेसरों के पदों पर स्थाई नियुक्ति राह ताक रहे है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के हर दौरे पर यहां के छात्र-छात्राओं ने इस समस्या से अवगत कराया है, लेकिन हर बार आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नही मिला। अभी स्थिति यह है कि प्राचार्य से लेकर कला संकाय, विज्ञान संकाय ओर वाणिज्य संकाय के हर पद खाली है और तो और विज्ञान संकाय की प्रयोगशाला भी नही है। जिससे कॉलेज में न तो पढ़ाई हो पाती है और नही कोई अन्य गतिविधियां।
महाविद्यालय में हर वह छात्र पिछले कई वर्षों से इन उम्मीदों ओर सौगातों के पूरे होने के सपने सँजोये बैठे है। अब वर्ष 2019 से यह उम्मीद है कि देश के भविष्य कहे जाने वाले छात्र-छात्राओं के यह सपने पूरे हो सके।
*यह बदलाव भी जरूरी:*
इसी सोच के बीच लोगों का मानना है कि वर्ष 2018 जैसा बीता वैसा बीत गया, लेकिन नया साल 2019 बड़े बदलावों का है। इसमें जनता को खुद को भी बदलना है और तकनीकी बदलावों को कुबूल कर अमल भी लाना है। लोगों को उम्मीद है कि इस उनकी आमदनी बढ़ेगी, बेरोजगारी घटेगी और मंदी का दौर खत्म होगा। घर और बाहर दोनों जगह सहूलियतें बढेंगी। स्कूल खुलेंगे, नए टीचर लगेंगे। एटीएम से जब चाहों जितना चाहो पैसा निकाल सकेंगे। खरिदारी कर सकेंगे। कैश रखने की जरूरत नहीं होगी सबकुछ ऑनलाइन हो जाएगा। अब स्मार्ट शहरों की सूची में गांव और कस्बे में भी शामिल होंगे। भ्रष्टाचार खत्म होगा। लोगों को कहीं भी कतारों में नहीं लगना पड़ेगा। बच्चों को शिक्षकों के लिए आंदोलन नहीं करना पड़ेगा। जनता भी बदलेगी-सड़क सुरक्षा, नागरिकता संहिता और नियमों की पालन करेंगे।

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