कलावती भूरिया ने भाजपा से आखिर वक्त जीत छीनी, कांग्रेस का परचम फहराया

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ

अभी हाल ही में संपन्न विधानसभा 2018 के चुनाव संपन्न हुए तथा जीत हार के सभी समीकरणों को अप्रत्याशित रूप से बदल दिया। इसी चुनाव में आरक्षित विधानसभा जोबट से एक महिला जिसे कांग्रेस ने विश्वास के साथ चुनाव मैदान मैं तो उतार दिया। मगर इसके बाद ना तो कोई बड़ा पार्टी का नेता साथ देने आया और ना ही पार्टी से जुड़े वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की फौज ही खड़ी दिखाई दी । बगैर चुनाव कार्यालय संचालन के रात दिन क्षेत्र की धूल फांक कर प्रतिबंदियो से कड़ी टक्कर लेकर विजयश्री प्राप्त कर कई के मंसूबों पर पानी तो फेरा ही कई के मुंह भी बंद कर दिए।

जोबट विधानसभा क्षेत्र में विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस पार्टी में घमासान हो रहा था और क्षेत्र में आने वाले सर्वे वालों एवं पर्यवेक्षकों के सामने मुखर होकर बदलाव और विधानसभा में नया चेहरा उतारने की मांग कर रहे जब पार्टी ने नया चेहरा उतारा । यानी कि झाबुआ जिला पंचायत के अध्यक्ष जिन्हें पार्टी की फायरब्रांड नेता माना जाता है । ऐसी धाकड़ नेत्री कलावती भूरिया को टिकट दे दिया जो पार्टी कार्यकर्ता बदलाव की मांग कर रहे थे उन्हीं में से कईयों ने कांग्रेस पार्टी के सांसद पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए पार्टी से किनारा करना शुरू कर दिया तथा निर्दलीय प्रत्याशी को चुनाव के कुछ समय पूर्व समर्थन देना स्वीकार कर लिया। पार्टी से बगावत कर वे कार्यकर्ता डूबती नाव में सवार होकर निकल लिए।

एसी विषम परिस्थितियों में कलावती भूरिया ने चुनौती स्वीकार की तथा पार्टी के वफादार पुराने तथा नए मुट्ठी भर कार्यकर्ताओं को लेकर अपने 20- 25 वर्ष के राजनीतिक अनुभव के आधार पर मैदान में कूद पड़ी पार्टी का कोई वरिष्ठ कार्यकर्ता वरिष्ठ नेता इन के लिए चुनाव प्रचार तक करने नहीं आया यहां तक स्वयं के काका तथा सांसद  भूरिया भी झाबुआ में अपने पुत्र की सीट बचाने में ऐसे घिरे कि वह भी समय नहीं निकाल सके। भुरिया ने क्षेत्र में विशेषकर विधानसभा के केंद्र आम्बुआ तथा बोरझाड़ में बगैर कार्यालीन संचालन के लिए रणनीति बनाकर चुनाव लड़ने का कार्य किया सुबह 6-7 बजे से देर रात 1-2 बजे तक सतत जनसंपर्क एवं कार्यकर्ताओं में जोश फुंकती रही खाने-पीने की परवाह किए। बगैर चुनावी जंग में एक वीरांगना की भांति मुट्ठी भर कार्यकर्ताओं के भरोसे अकेली किला भिड़ाती रही तथा जीत के बाद ही मानी इस चुनाव में उन्होंने ना तो सामने चुनौती बन कर खड़े बागी को मनाने का प्रयास किया और ना ही सत्ताधारी प्रत्याशी से भयभीत हुई उन्होंने ऐसे कार्यकर्ता को भी नकार दिया जिनके परिवार अलग-अलग पार्टियों में रहकर दोनों हाथों में लड्डू थामने का प्रयास कर रहे थे । ऐसी जांबाज फायर ब्रांड नेत्री का जिन्होंने भी साथ दिया। उन मतदाताओं तथा कार्यकर्ताओं का जीत के बाद उन्होंने आभार माना तथा विश्वास दिलाया कि क्षेत्र के विकास में बगैर किसी भेदभाव के वह अपना संपूर्ण योगदान देगी तथा अवरुद्ध विकास को गति प्रदान करेगी तथा क्षेत्र की जनता के बीच सतत संपर्क बनाकर रखेगी उन्हें जो बाहरी प्रत्याशी का ‘तमगा’ विरोधियों ने दिया था। उसे हटाकर बाहरी की जगह घर का प्रत्याशी एवं जनता के घर की विधायक साबित होगी ऐसा विश्वास विधानसभा क्षेत्र की जनता को दिया।

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