अज्ञात बीमारियों से मर रही गाये, मरने के बाद नहीं पहचान रहे मालिक, बेरुखी से पंचायत की परेशानी बढ़ी

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मयंक विश्वकर्मा, आम्बुआ
आम्बुआ (अलीराजपुर) आम्बुआ कस्बे में लगभग 2 दर्जन से अधिक पालतू गाय आवारा हालत में घूमने को मजबूर है उन्हें पालने वाले दूध निकालकर तथा दूध नहीं देने की स्थिति में आवारा छोड़ देते हैं जो कि बाजारों में प्लास्टिक आदि खा कर पेट भरती है । उसको पागल कुत्ते कहीं भी घूमते समय काट लेते हैं पशुपालकों को पता नहीं होने के कारण कुछ महीनों बाद वे पागलों की हरकत कर मरने को मजबूर हो रही है ऐसे ही हालत की मारी दो गाय तथा एक बछड़ा विगत दिनों दम तोड़ चुके हैं जिन्हें पंचायत प्रशासन ने अपने खर्चे पर जमीन में दफन कराया।

जानकारी के अनुसार आम्बुआ में निजी तौर पर अनेक ग्रामीण गाय पालते हैं । मगर उनकी देख रेख सेवा आदि नई कर करते हैं जब उनका प्रसव कई हो जाता है तो घर पर लाकर बांध देते हैं तथा दूध निकालकर भटकने को छोड़ देते हैं।  यह गाय बाजार में गन्दगी तथा प्लास्टिक खाकर अपना पेट भरती तथा कई बार किसानों की फसलें रात में चौपट कर लेती देती है जिसमें गुस्साए किसान उन्हे मार कर घायल कर देते हैं । कई बार तीर भी मार दिया जाता है जिससे उनकी मौत हो जाती है कई बार पागल कुत्ते इन्हें काट देते हैं जो कि कुछ महीनों बाद इनके जहर का असर होने पर पागल हो जाती है ।अभी हाल ही में ऐसी दो गाय पागलों की तरह हरकतें करती हुई चार-पांच दिन के अंतराल मौत के मुंह में चली गई जिसकी गाय थी। उन्होंने उन्हें ठिकाने लगाने का कोई प्रयास नहीं किया खेत तथा मैदान में पड़ी होने के कारण उनके शव को कुत्तों ने नोच नोच कर खाया जिस कारण भविष्य में इन कुत्तों के पागल होने की संभावना बन रही है। नागरिकों ने पंचायत के सरपंच एवं उपसरपंच को जानकारी दी गई तो उन्होंने जेसीबी मशीन के माध्यम से गायों के शव को उठाकर जमीन में गड्ढा खोदकर दफन कराया पंचायत के पास ऐसे कार्यों के लिए कोई मद नहीं होने के कारण परेशानी आ रही है।  इधर पशुपालक भी ऐसे जानवरों की मृत्यु के बाद पहचानने से इनकार कर देते हैं कस्बे में काजी हाउस नहीं होने के कारण आवारा पशुओं को नहीं रखा जा सकता है मजबूरी में वे आवारा घूमते रहते हैं तथा अकाल मृत्यु का कारण बन रहे हैं।

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