कृष्ण जन्मोत्सव में जमकर थिरके श्रोता भागवत कथा के चौथे दिन उत्सवी माहौल

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मयंक विश्वकर्मा ,आम्बुआ

आम्बुआ कस्बे में विगत दिनों से श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा बह रही है।नागदा से पधारे पं. श्री अरविंद भारद्वाज व्यासपीठ से प्रतिदिन कथा में अलग अलग प्रसंगों पर धारा प्रवाह प्रवचनो से उपदेश भी दे रहे हैं आज विभिन्न प्रसंगों के बाद श्रीराम जन्मोत्सव तथा श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई गई। श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर सारा पंडाल झूम उठा माखन मिश्री की प्रसादी भी वितरित की गई। कथा के चौथे दिवस पं. अरविंद जी ने कथा का शुभारंभ जीव एवं परमात्मा के संबंधों से किया गजराज के उद्धार की कथा में बता की गजराज को जब ग्राह (मगर) ने जल में खिंचा तो उसने अपने विशालकाय परिवार को सहायता के लिए पुकारा मगर किसी ने उसे नहीं बचाया मगर जब उसने भगवान को पुकारा तो भगवान ने उसे बचाया यानी कि अंत समय भगवान का ही सहारा होता है उन्होंने अपनी कथा में बताया कि धन वैभव तथा वंश तीनों का नाश अभिमान से हो जाता है जैसे कि रावण का हुआ था बड़ों को हमेशा ही बड़प्पन दिखाना चाहिए भगवान विष्णु को भृगु ने लात मारी इसके बावजूद उन्हें माफ कर दिया। भागवत कथा में अधम, पापी, अजामिल की कथा में बताया कि उसे किसी संत ने बताया कि अपने बच्चे का नाम नारायण रख जब उसका अंत आया तो उसने अपने बच्चे के नाम नारायण से पुकारा पापी होने के बावजूद नारायण (भगवान) का नाम लेने से उसका उद्धार हो गया आगे समुद्र मंथन की कथा समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष का श्री भोले नाथ द्वारा पान करने एवं अमृत का पान देवताओं द्वारा किए जाने तथा छुपकर राहु केतु द्वारा अमृत पान करने एवं श्री हरि विष्णु जी द्वारा उनका सिर काट देने की कथा सुनाई कथा में आगे 52 अवतार की कथा तथा राजाबली से तीन पग जमीन का दान एवं राजाबाली को पाताल लोक का राज्य देने की चर्चा की चवन ऋषि तथा अश्विनी कुमार के बाद राजा सगर के साठ हजार पुरखों के उद्धार हेतु भागीरथ द्वारा तपस्या तथा गंगा अवतरण की कथा सुनाई गई। भागवत कथा प्रसंग में राजा दशरथ की कथा जिसमें उनके घर संतान नहीं होने के कारण अपने चौथे पन में संतान की इच्छा के बाद कुल गुरु की शरण में जाना पुत्र प्राप्ति यज्ञ के बाद यज्ञ भगवान के प्रसाद से चार पुत्रों की प्राप्ति जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम अवतार लेने की कथा सुनाई।

मथुरा के राजा अग्रसेन तथा उसके पुत्र कंस एवं देवकी की कथा में बताया कि कंस ने अपनी बहन देवकी का विवाह वसुदेव से किया जब वह अपनी बहन को विदा कर रहा था तब आकाशवाणी हुई जिसमें देवकी के आठवें पुत्र के द्वारा उसकी मृत्यु बताए जाने पर उसने अपनी बहन तथा जीजा को कारागृह में डालने एवं श्री कृष्ण के जन्म की कथा पं. श्री अरविंद ने सुनाई तो सारा पंडाल नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की जय घोष से गूंज गया कृष्ण बने बालक का कथा स्थल पर भव्य स्वागत किया गया इसके बाद संगीतमय भजनों ने पांडाल में उपस्थित महिला पुरुष बच्चों को थिरकने पर मजबूर कर दिया लगभग आधा घंटे तक जन्मोत्सव की धूम रही कथा में कठीवाडा जनपद अध्यक्ष श्रीमती शीला भदु पचाया ने पहुंचकर व्यासपीठ की पूजा की तथा पंडित श्री अरविंद जी का सम्मान किया कथा विश्राम के समय भगवान श्री कृष्ण को प्रिय माखन मिश्री का भोग लगाया जा कर भक्तों में वितरण किया गया।

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