सार्वजनिक गणेश मंडल के विराट कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधां देशभक्ति का समां

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राज सरतलिया, पारा
सार्वजनिक गणेश मंडल बस स्टैंड पारा के तत्वावधान में शुक्रवार की रात मे विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमे देश के कई जाने माने हास्य श्रंृगार व वीर रस के कवियों ने कविता पाठ किया व उपस्थित श्रोताओं को अपनी कविता पाठ से रस विभोर कर दिया। रात करीब 9 बजे आरंभ हुए इस कवि सम्मेलन में प्रख्यात ओज कवि मुकेश मोलवा, हास्य कवि नारायण निडर, नरेन्द्र नखत्री, अशोक शर्मा, रोहित झन्नाट, मिमिक्रि आर्टिस्ट पवन भट्ट व श्रृंगार रस की उदयमान कवियत्री प्रिया बाईसा व आमंत्रित अतिथि ठाकुर राजेन्द्रसिह राठौर, संजय शर्मा, सुरेश सरतलीय,लाखनसिह राजपूत, ओकरसिंह परमार, अमृत राठौड, कुंवर नरेश प्रतापसिह राठौर, रविकदम, महेन्द्र चौहान, संतोष अरोडा व पृथवीसिह राजपूत ने भगवान गणेश की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जलित कर विराट कवि सम्मेलन का श्रीगणेश किया। सर्व प्रथम श्रंगार रस की कवियत्री प्रिया बाइसा ने मां सरस्वती शारदे की अपनी मधुर आवाज मे वंदना की। इसके पश्चात हास्य कवियों ने अपनी अपनी पेरोडी, चुटकले व चुटिले व्यंगय से दर्शको को गुदगुदाया। रोहित झन्नाट ने अपनी झन्नाटेदार कविता ओ श्रोताआं को खूब हंसाया। मिमिक्री आर्टिस्ट पवन भट्ट ने फिल्मी दुनिया के कई कलाकारो की आवाज निकाल कर श्रोताओं को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया व कर चले हम फिदा जानो तन साथियों जेसे देश भक्ति गीत पर अभिनय कर दर्शकों की खूब दाद बटोरी। ओज कवि मुकेश मोलवा ने अपने चिर परिचत अंदाज मे पारा की धरा व झाबुआ चंन्द्रशेखर आजाद की धरती को अपनी तात्कालिक कविता से प्रणाम किया। स्वामी विवेकानंद का वेश धारण किए कवि मुकेश ने अपनी काव्य यात्रा राष्ट्रगाथा व देश भक्ति कि अपनी प्रसिद्ध कविता कुरु क्षेत्र मे जब पांचजन्य गुंजित हो जाता था वैसी हल्दी घाटी मे जब चेतक हिनहिनाता था ओर जय मेवाड के नारो के साथ राणा के भाले मे भवानी प्रगट होजाती थी, से आंरभ की। इसके बाद मुकेंश मोलवा ने एक के बाद एक अपनी कई राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कविता सुनाई। जिसका श्रोताओ ने अच्छा प्रतिसाद दिया व पारा का गगन भारत माता की जय के नारो से गुंज उठा। करीब दो घंटे तक लगातार अपनी ओज कविताओ से दर्शकों के हृदय पर देश भक्ति की भावनाओ का संचार किया। उसके बाद भी श्रोताओ का मन नही भारा व पंडाल मे वंसमोर वंसमोर की आवाजे आती रही। अंत फिर एक बार अपनी एक रचना का ओर पाठ किया व अगले साल फिर आने के वादे के साथ काव्य यात्रा समाप्त की। सूत्रधार नारायण निडर ने अपनी चिर-परिचत कविताए सुनाई। रात्री करीब 3 बजे के लगभग समाप्त हुए कवि सम्मेलन में श्रोता अंत तक डटे रहे। इससे पूर्व अतिथियो व कवियो का स्वागत पुष्पमाला पहना कर मंडल के सदस्यों ने किया। अंत में आभार मण्डल के सदस्य चेतनसिह राजपूत ने प्रकट किया ।

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