आईएसओ जिला अस्पताल में हंगामा : नवजात बदलने का आरोप, ढाई घंटे बाद मृत घोषित बालिका को जीवित सौंपा गया

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विपुल पंचाल, झाबुआ

– नवजात गहन शिशु इकाई के बाहर हंगामा करते ग्रामीण।

आईएसओ सर्टिफाइड झाबुआ जिला चिकित्सालय में आज उस समय हंगामा मच गया जब नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई ने मंगलवार सुबह 2 नवजात बच्चों को मृत घोषित करते हुए उनके शवों को ले जाने के लिए परिजनों को बुला लिया। दोनों शव में से एक शव चंदा पति ईश्वर खराडी निवासी कल्याणपुरा को सौंपा गया, जबकि दूसरा शव पिंकी पति मुकेश निवासी भोयरा को सौंप दिया गया। पिंकी के परिजनों ने भोयरा ले जाकर शव को दफना दिया, और चंदा के परिजन जब शव को लेकर दफनाने के लिए अपने गांव में पहुंचे तो पता चला कि जिस नवजात का शव दिया गया है वह शव बालक का है, जबकि चंदा को 13 सितंबर को कल्याणपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बालिका जन्मी थी। इस पर हैरान-परेशान चंदा व उसके ससुराल वाले तुरंत नवजात बालक के शव को लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचे तथा नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई के डॉक्टरों से पूछा जब उनका नवजात बेटी थी तो शव नवजात बालक का क्यों? इसके साथ ही परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया। हंगामा इस कदर बड़ा कि भारी संख्या में पुलिस बुलानी पड़ी। इसी बीच जिला चिकित्सालय प्रबंधन को लगा कि शायद पिंकी पति मुकेश निवासी भोयरा को जो शव दिया गया है वह शव चंदा की नवजात बालिका का है। इस पर जिला चिकित्सालय की टीम भोयरा पहुंची और पिंकी पति मुकेश के दफनाए गए नवजात का शव निकाला। शव निकालने पर स्पष्ट हुआ कि यह शव भी बालिका का न होकर नवजात बालक का ही है। मामला आगे बढ़ता इस दौरान करीब ढाई घंटे के हंगामे के बाद जिला चिकित्सालय ने यह घोषणा की कि चंदा पति इश्वर खराड़ी की बालिका जीवित व सुरक्षित है। इस पर चंदा और उसके परिजन तुरंत ही बालिका को यह कहते हुए लेकर निकल गए कि जिला चिकित्सालय पर अब उनका कोई भरोसा नहीं रहा है। इसके बाद यह सवाल खड़ा हो गया कि चंदा पति ईश्वर खराड़ी को बालिका बताकर सौंपा गया शव आखिर किस प्रसूता का था? करीब दो घंटे की जद्दोहद के बाद जिला अस्पताल ने यह स्पष्ट किया कि यह शव कालीदेवी की प्रसूता अनिता के नवजात का था। लेकिन अनिता यह मानने को तैयार नहीं है। उसका आरोप है कि उसका नवजात जीवित है तथा जिला चिकित्सालय ने उसे इधर-उधर कर दिया है। समाचार लिखे जाने तक अनिता व जिला प्रशासन अपनी-अपनी बात अड़े हुए हैं।

बड़ा सवाल किसकी लापरवाही से हुआ हंगामा….?

पूरे मामले में जिला अस्पताल की किरकिरी होने के बाद बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर लापरवाही किसकी थी? इस संबंध में मीडिया से चर्चा के दौरान सिविल सर्जन डॉ.आरएस प्रभाकर घबरा गए और चुपचाप खड़े रहे। इन सवालों का जवाब वे नहीं दे पा रहे थे। बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि उनके नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई के स्टॉफ की गलती व लापरवाही थी, जिसके चलते इतना हंगामा हुआ। उनके अनुसार स्टाफ की ओर से नवजात के परिजनों को गलत तरीके फोन चला गया था इसके बाद यह हंगामा हुआ। हंगामा के दौरान मौके पर झाबुआ टीआई व झाबुआ तहसीलदार भी पहुंच गए थे।

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