0

पर्युषण महापर्व के तीसरे दिन स्थानक भवन में आयोजित धर्मसभा में संत संदीपमुनिजी ने वर्तमान समय में पुत्र माता पिता की सेवा क्यों नहीं करते है। इसका विश्लेषण करते हुए कहा की माँ-बाप के पास धन नहीं हो तो पुत्र उनकी सेवा नहीं करते है, मा-बाप पर खर्च करना पड़े ,नये ज़माने के अनुसार उनके विचार नहीं मिलते है,पुत्र की शादी के बाद उसकी पत्नी का सास ससुर से सामंजस्य का अभाव ,माता पिता का स्वभाव आदते ,रहन सहन और पुराने ख्यालात के कारण पुत्र मातापिता की सेवा से दूर हो रहे है।आपने कहा परदेश में रह रहे पुत्र से माता-पिता की दूरियां,माता-पिता का अनुशाशन प्रिय होना,बटवारे का भेदभाव पुत्र की स्वछंदता पर रोक,पुत्र और पुत्र वधु का बिना रोकटोक आज़ादी के साथ रहने के भाव,इन सब बातों को समझना जरूरी है। आपने कहा की पुत्र और मातापिता दोनों अलगाव के कारणों को सोचे और दूरियां घटाने का प्रयास करे,इन्ही कारणों को सोच कर आगे बढ़ने पर ही वर्तमान के पुत्र भविष्य में बनने वाले पिता और सुखी परिवार का भविष्य निर्भर करता है। पुत्र माता पिता के उपकारों को समझ कर चिंतन करे की में किन कारणों से माता-पिता से दूर हूं।मातापिता भी समय के हिसाब से मन में सबुरी रखकर अपनी विचारधारा में सुधार करे,और पुत्र भी व्यर्थ के कारणों को मन से हटाकर मातापिता की सेवा में लग जाये तो ही परिवार सुखी बनेगा,पर्युषण महापर्व यही संदेश दे रहा है की पारिवारिक सामंजस्य से ही घर में शान्ति होती है।
महापर्व की आराधना जप तप त्याग और कई अनुष्ठानो के साथ चल रही है प्रियांशी कटारिया के 10 उपवासों की आराधना के साथ कई तपस्याओं के प्रत्यख्यान हुए।नवयुवक मंडल द्वारा आयोजित धार्मिक परीक्षा में अनीता भण्डारी और मधु मेहता प्रथम ,नवीन मुरार श्रुति सोलंकी ,किरण कटकानी ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया,धर्मसभा का संचालन राजेन्द्र कटकानी ने किया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.