आत्मा रूपी आभूषण पर तपस्या की पॉलिश लगाने से आत्म की चमक बढ़ती है : साध्वी कीर्तितलाजी

0

हरीश राठौड़, पेटलावद
जिस प्रकार खेत की सुरक्षा के लिए बाड़ की आवश्यकता होती है ठीक वैसे ही आत्मा रूपी खेत को सुरक्षित रखना है तो तप की आवश्यकता होती है जैसे सोने चांदी के आभूषण पालिश से चमक जाते है। ठीक वैसे आत्मा रूपी आभूषण पर तपस्या की पालिश लगाने से आत्मा की निर्मलता रूपी चमक बढ़ जाती है। उपरोक्त आशय के उषर श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वे अनुशास्ता आचार्य श्रीमहाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी कीर्तिलताजी ने मोनिका अमित बंबोरी सारंगी वाले के 27 उपवास की तपस्या पर तेरापंथ भवन में आयोजित तप अभिनंदन समारोह में व्यक्त किए। आपने कहा कि अविवेकपूर्ण व अति बोलने वाला और अति खाने वाले दोनों प्रकार के व्यक्तियों को हानि उठाना पड़ सकती है। आपने इस तपस्या के प्रति हार्दिक अनुमोदना और प्रमोद भावना प्रकट की। कार्यक्रम संयोजन के दौरान साध्वी शांतिलताजी ने कहा कि तीर्थंकर भगवान महावीर ने किसी अपेक्षा विशेष से कहा है कि मोक्ष के 4 मार्गों में तप का मार्ग सबसे सरल व सुगम है। संकल्प बल जागने पर कोई भी व्यक्ति तप कर सकता है। साध्वी पूनमप्रभाजी ने श्रद्वेय संघ महानिदेशिका साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभाजी से प्राप्त संदेश का वाचन किया। कार्यक्रम का प्रारंभ रायपुरिया महिला मंडल के गीत से हुआ। तेरापंथी सभा के मंत्री लोकेश भंडारी,महिला मंडल अध्यक्ष मीनाजी मेहता, तेरापंथ युवक परिषद अध्यब प्रमङ्क्षद मेहता, युवक परिषद उपाध्यक्ष राजेश वोरा, पूर्णिमा वोरा, बंबोरी परिवार की ओर से गीत अशोक बंबोरी, अजित बंबोरी, सविता बंबोरी ने भी तप अनुमोदना में विचारों की अभिव्यक्ति दी। तेरापंथी सभा, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ युवक परिषद की ओर से अभिनंदन पत्र साहित्य, समायिक किट भेंट कर सम्मानित किया गया. इस अवसर पर कई व्यक्तियों ने तेले, पंचोले, उपवास, स्वाध्याय आदि का संकल्प लेकर तप अनुमोदना की।
रथ यात्रा का भी स्वागत किया-
इससे पूर्व श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक समाज के यतिवर्य डॉ बसंतविजयजी की प्रेरणा से कृष्णगिरी से निकली विश्वशांति रथ यात्रा के नगर भ्रमण पश्चात तेरापंथ भवन में आयोजित कार्यक्रम में तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी कीर्तिलताजी ने कहा कि अरहंत पाश्र्वनाथ लउकिक देव नहीं होकर लोकोत्तर देव होकर लोके के उत्तम और श्रेष्ठ है यदि ऐसे वितराग भगवान से संपर्क साधना है तो सांसारिक भौतिक पदार्थ या सुखो के प्रति आसक्ति का भाव कम करना होगा। आपने अरिहंत या तीर्थंकर भगवान की पवित्र भावों से की गई स्तुति का महत्व बताते हुए कहा कि अरहंतों की सच्चे मन से शरण स्वीकारने वाला और उनके बताए मार्ग पर चलने वाला स्वयं के जीवन को प्रकाशीत बना कर कालांतर में स्वयं अर्हंत या वीतराग बन सकता है।
साध्वी शांतिलताजी ने कहा कि तिना सुखद संयोग है कि तेरापंथ धर्मसंघ के 11 वें अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमणजी अपनी अहिंसा यात्रा के माध्यम से सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति का संदेश देते हुए वर्तमान में चैन्नई में चातुर्मास कर रहे है। वहीं दूसरी ओर यतिवर्य बसंतविजयजी भी विश्वशांति यात्रा के माध्यम से विश्वशांति की भावना प्रेषित कर रहे है। साध्वी पूनमप्रभाजी साध्वी श्रेष्ठ प्रभाजी ने गीत का संगान किया। इसके पूर्व मूर्तिपूजक परंपरा से साध्वी विश्वरत्नाश्रीजी ने जीवन में शांति के महत्व के बारे में समझाया। कार्यक्रम का संचालन तेयुप उपाध्यक्ष राजेश वोरा ने किया.
समाजजनों का सम्मान भी हुआ.
मंगलाचरण रङ्क्षचक मुणत, तेरापंथी सभा के अध्यब झमकलाल भंडारी ने स्वागत भाषण दिया। हर्ष मेहता झाबुआ ने रथ यात्रा का संक्षिएंत परिचय देते हुए सुमधुर गीत प्रस्तुत किया। यात्रा प्रभारी मनोज मेहता झाबुआ ने यात्रा के अनुभव सुनाते हुए तेरापंथी सभा अध्यक्ष भंडारी, मूर्तिपूजक समाज के सुरेंद्र मेहता,कमल भंडारी, राजेंद्र मूणत, जीवन ओरा आदि का अपनी ओर से सम्मान किया। तेरापंथी सभा के ओर से अध्यक्ष भंडारी व मंत्री लोकेश भंडारी ने साहित्य भेंट कर मनोज का सम्मान किया। आभार ज्ञापन सुरेंद्र मेहता ने किया.

Leave A Reply

Your email address will not be published.