ग्रामीण के नाम पर रानी दुर्गावती योजना में फर्जी तरीके से आहरित किए 10 लाख रुपए, बैंक मैनेजर व कर्मचारियों को बचाने में लगे आला अफसर

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भूपेंद्र बरमंडलिया, मेघनगर

शासन की महत्वपूर्ण योजना रानी दुर्गावती के तहत वर्ष 2010 में ग्राम आमलीपठार के ग्रामीण माधुसिंग पिता खुमानसिंग डामोर के नाम ईंट भट्टा के कार्य हेतु फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोन लेने से लेकर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित शाखा मेघनगर से राशि आहरण तक फर्जी हस्ताक्षर कर दस लाख का ऋण निकाल लिया गया। इसके बाद जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शाखा मेघनगर द्वारा एक दिन गलती से वसूली का नोटिस जारी कर दिया और बैंक कर्मचारी तामीली ने माधुसिंग डामोर को सूचित किया, जिसके बाद ग्रामीण माधुसिंह डामोर ने बैंक जाकर पता किया तो उसके पाया कि उसके नाम रानी दुर्गावती योजना में ईंट भट्टे का 10 लाख रुपए का ऋण निकाला गया, तो उसके होश उड़ गए।
इसके बाद ग्रामीण माधुसिंह ने इसकी शिकायत पुलिस थाने व कलेक्टर की जनसुनवाई के साथ सीएम हेल्पलाइन में की। इसके बाद तो जिले में बैठे आला अफसरों ने ही इस मामले को दबाने व दोषियों को बचाने का काम शुर किया। इसके बाद माधुसिंह ने मीडिया कर्मियों को अपने साथ हुई आपबीती सुनाई। मीडिया कर्मियों ने माधुसिंह के नाम पर फर्जी तरीके से निकाले गए 10 लाख रुपए की खबरें प्रकाशित की।
इसके बाद हरकत में आए संबंधित अधिकारियों ने जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसके मुताबिक आदिम जाति सेवा सहकारी संस्था मेघनगर से तैयार ऋण प्रकरण रानी दुर्गावती योजना के तहत माधुसिंह पिता खुमानसिंह डामोर निवासी आमलीपठार के ईंट भट्टा लगाने संबंधी बताया। वहीं प्रधान कार्यालय के पत्र क्रमांक/फिल्ड/ऋण 10/11/1116 झाबुआ दिनांक 01.06.2016 का पालन करते हुए ऋण आवेदनकर्ता की सहमति संतुष्टि के बिना ही अनियमित भुगतान किया गया पाया। भुगतान की कार्रवाई में प्रथम दृष्टया तत्कालीन प्रधान शाखा, प्रबंधक शाखा मेघनगर मन्नूसिंह खतेडिय़ा एव तत्कालीन संस्था प्रबंधक मेघनगर शंकरसिंह नायक को मुख्य रूप से दोषी पाया गया है, लेकिन अभी सिर्फ मन्नुसिंह खतेडिय़ा प्र.शाखा प्रबंधक मेघनगर को निलंबित किया है, वहीं तत्कालीन संस्था प्रबंधक शंकरसिंह नायक को सिर्फ हटाया गया है। इस पर कार्रवाई डीआर झाबुआ द्वारा की जाएगी।
पीडि़त बोल
माधुसिंग पिता खुमान डामोर का कहना है कि जो मेरे नाम से दस लाख का फर्जी हस्ताक्षर कर दस्तावेज तैयार करने वाले सजंय श्रीवास व गणेश प्रजापत है। इन्होंने ही मुझे को सरकारी नौकरी लगाने के नाम से दस्तावेज मांगे थे और इस फर्जी लोन की मुझे जानकारी ही नहीं है ये तो बैंक नोटिस आया। उसके बाद मुझे पता लगा की मेरे नाम पर दस लाख का ऋण निकाला गया है । इस फर्जी लोन में बैंक का प्रबंधक और संस्था का प्रबंधक फिल्ड ऑफिसर की भी मिलीभगत और उन पर कार्रवाई नहीं करना जांच की पारदर्शिता को आसानी से समझा जा सकता है।

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