संघ के स्वयंसेवक ने क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जयंती मनाई

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जितेंद्र वाणी (राज), नानपुर
स्थानीय हाई सेकेंडरी स्कूल नानपुर में सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवक आजाद जयंती मनाने पहुंचे जिसमें प्राचार्य आरसी झा ने चंद्रशेखर आजाद को पुष्प माला अर्पित किया। इस दौरान झा ने बताया कि भारत माता को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति दिलाने हेतु अपने प्राणों की आहुति देने वाले क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के माता पिता अत्यंत विपन्नता में दिन गुजारे। यह बात जब क्रांतिकारी के प्रेरक व सहायक गणेश शंकर विद्यार्थी को पता चली तो उन्होंने आजाद को 200 दिए आजाद ने वह क्रांतिकारी कोष में जमा करा दिए पुन: मिलने पर जब विद्यार्थीजी ने रुपयों के बारे में पूछा तो आजाद बोले वह तो क्रांतिकारी कार्य में खर्च हो गए। विद्यार्थी जी बोले माता पिता की स्थिति जानने के बाद भी तुमने ऐसा क्यों किया। आजाद मुस्कुरा कर बोले हमारे गुलाम देश के लाखों लोग भूखे रहते हैं लेकिन देश की आजादी के लिए संघर्षरत क्रांतिकारी की आवश्यकता को पूरा करना मेरा पहला कर्तव्य है और फिर मेरे माता-पिता को ज्यादा तकलीफ हुई तो उनके इस क्रांतिकारी बेटे के पास देने के लिए पिस्तौल की 2 गोलियां काफी हैं कर्तव्य निष्ठा और समर्पण की पराकाष्ठा थी। आजाद क्रांतिकारी जीवन में आने के बाद माता-पिता से मिलने तक नहीं जा पाते थे अपनी मां का स्मरण आते ही धरती मां को नमस्कार कर लिया करते थे। इसी आजाद के अंतिम शब्द थे मां इस जन्म में बस इतना ही शेष अगले जन्म में अर्थात उन्होंने अपने दो जन्म को राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया था।

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