पोषण के लिए परंपरागत तरीको पर होने लगा विचार

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झाबुआ लाइव डेस्क के लिऐ ” चंद्रभान सिंह भदौरिया ” शोधार्थी विकास संवाद ( पोषण सुरक्षा विषय पर ) ।।

देर से ही सही अब शाशन – प्रशासन बच्चो में पोषण सुरक्षा को लेकर गंभीर होता दिख रहा है अपने पिछले लेख मे मेरे द्वारा परंपरागत तरीकों को अपनाये जाने की आवश्यकता बताई गयी थी । जिसे लेकर अब जिला पंचायत अध्यक्ष अनिता चौहान ओर अलीराजपुर विधायक नागर सिंह चौहान संजीदा हुऐ है विगत 23 अगस्त को अलीराजपुर के आजादनगर में विगत दिनो आये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा भी नागर सिंह द्वारा की गयी जिसमे उन्होंने कहा कि आंगनवाडीयो मे भिलाला समाज के ” परपंरागत ताये ( प्रोटीन युक्त दालो को मिलाकर बनने वाले चीले उर्फ रेलमे ) ओर कुलथीया ( चावल जैसा स्थानीय खाद्य पदार्थ जो प्रोटीन से भरपूर होता है ) देने की शुरुआत की जाये यह रुचिकर भी है ओर पौष्टिक भी है । इस पर मुख्यमंत्री ने इन दोनो जनप्रतिनिधियो को पूरी काय॔योजना बनाने का आदेश दिया ओर अधिकारियो को भी अगले दौर मे रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है गौरतलब है कि दोनो जनप्रतिनिधि भिलाला आदिवासी वर्ग से ही आते है ।

यह है ताये – कुलथिया क्यो जरुरी —

दरअसल अपने शोध लेख मे मेरे द्वारा यह सवाल उठाया गया था कि आज तमाम सरकारी तंत्र मौजूद होने के बावजूद आज भुलाया समाज में कुपोषण 48 % के पार है ओर यदि ऐसा है तो यह समाज तो कब से समाप्त हो जाना चाहिए था लेकिन ऐसा हुआ नही । आखिर क्यो ? दरअसल प्राचीनतम तोर तरीके ना सिर्फ स्वादिष्ट थे बल्कि पोषण से भरे हुऐ थे पहले खाने मे ताये उर्फ रेलमे ओर चीले स्थानीय स्तर पर खाने का एक प्रमुख हिस्सा होते थे यह सभी दालो को गलाकर ओर पीसकर बनाये जाते थे ओर चुल्हे की आंच मे इसे बनाया जाता था यह स्वादिष्ट होकर प्रोटीन का एक बडा स्रोत होते थे पहले यह हर घर मे बनते थे अब यह केवल अभिजात्य घरो मे ही बनते है इसी तरह से ” कुलथिया ” जो कि चावल की तरह का एक खाद्यान्न होता है उसका उत्पादन पहले बहुतायत मे होता है लेकिन उसकी जगह व्यावसायिक उपज ने ले ली अब यह केवल कुछ खेतो मे ही होता है यह सस्ता होता है लिहाजा किसान इसकी उपज ना के बराबर लेते है लेकिन इस कुलथिया मे मे जबरदस्त प्रोटीन होता है जो अक्सर ताडी  के साथ पीने पर शरीर मे इस कदर फायदा पहुंचाता है कि जो इसका सेवन करते है उनका वजन बढता है ओर रंग साफ करता है । इसके कुलथिया को अगर दालो के साथ इसे खाया जाये खासकर बच्चो ओर महिलाओ के द्वारा तो यह सोने पर सुहागा साबित होता है ।

कलेक्टर भी कर रहे है विचार—

शोध के पहलुओ का अलीराजपुर कलेक्टर श्री शेखर वर्मा से भी चर्चा की गयी । शोध के तथ्यो से कलेक्टर भी सहमत नजर आये उन्होंने महिला बाल विकास विभाग को यह निर्देश दिये कि वह ताये ओर कुलथिया को लेकर काय॔योजना बनाये ओर इसके पहले जनप्रतिनिधियों से भी चर्चा करे ताकी इस मुहीम मे उन्हें भी जोडा जा सके ।

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