गायत्री परिवार द्वारा आयोजित नशा निवारण संगोष्ठी में उपस्थित हुए सभी धर्मों के प्रतिनिधि

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पियुष चन्देल अलीराजपुर
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, वह समाज में रहता है, नशे जैसी घातक बुराई व्यक्ति व परिवार का नाश कर देती है। नशे से केंसर, लीवर व फेफड़ों की जानलेवा बीमारीयॉ होती है। बड़े बड़े लोग जो नशे का व्यापार करते है, वे दुसरों का घर बर्बाद कर रहे है। इस विकराल समस्या के समाधान के लिये सामाजिक संस्था व शासन मिलकर काम करें, क्योंकि केवल शासन या कानुन से यह बदलाव नहीं लाया जा सकता है। इसलिये सामाजिक स्तर से भी प्रयास किये जाने चाहिये। तब जाकर नशे जैसी घातक समस्या को दूर किया जा सकता है। यह विचार मुख्य अतिथि सुरेषचन्द्र वर्मा, अपर कलेक्टर अलीराजपुर ने नशीले पदार्थ के दुरूपयोग व अवैध व्यापार के विरूद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर गायत्री शक्तिपीठ अलीराजपुर व सामाजिक न्याय व निःशक्तजन कल्याण विभाग अलीराजपुर के द्वारा स्थानीय गायत्री मंदिर में आयोजित नशा निवारण संगोष्ठी के अवसर पर व्यक्त किये।इस अवसर पर विशेष अतिथि  एम.एल.त्यागी-मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत अलीराजपुर ने कहा कि नशा समाज को कितना नुकसान पहुॅचाता है, नशे को कम या रोका कैसे जाये, यही समाज की चिंता है। समाज के सभी लोग मिलकर इस समस्या के समाधान के लिये तेज प्रयास करें। गायत्री परिवार इस कार्य को बखुबी कर रहा है, वह सराहनीय है। विशेष अतिथि मनोज सिंह कनेश, उप संचालक सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग ने कहा कि नशीले पदार्थों का जो सेवन करते है, उन्हें अपनी संकल्प शक्ति से छोड़ देना चाहिये। आज के नवयुवक व नवयुवतियॉ सभी नशे की लत से जुड़े हुये है। उन्हें भी नशे से दूर करने के लिये विशेष प्रयास की आवश्यकता है। इस कार्यक्रम में सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने उपस्थित होकर अपने-अपने विचार व्यक्त किये। पतंजली योग समिति से डॉ. कन्हैयालाल गुप्ता ने कहा कि परमात्मा ने जीवन हमें उपहार रूप में दिया है, जिसे पवित्र रखना चाहिये। सनातन सेवाश्रम से रतनसिंह राही ने कहा कि मैं स्वयं शराब का सेवन करता था, किन्तु मैंने गुरू की शरण में जाकर शराब जैसी बुराई का त्याग कर दिया व जीवन को खुशहाल बनाया। इस्लाम धर्म के प्रतिनिधि के रूप में अब्दुल रशीद कुरैशी ने कहा कि प्रतिवर्ष 14 खरब रूपये नशे में खर्च हो जाते है। यह विकराल समस्या है, जिसका समाधान जरूरी है। असाड़ा राजपूत समाज की ओर से अरविन्द गेहलोत ने कहा कि कई परिवार अपने मित्रों की गलत लोगों की मण्डली से परेशान हो रहे है। संविधान की धारा 47 के अनुसार कोई भी प्रदेश शराब बंदी कर सकता है। हम बड़े-बड़े शराब माफीयों को सम्मान दे रहे है, उनको महिमा मण्डित कर रहे है, जो गलत है। ईसाइ धर्म के प्रतिनिधि के रूप में श्रीमती शोभना ओंकार ने कहा कि दिल एक मंदिर है, इसे हमें साफ और स्वच्छ रखना चाहिये। इसे गंदी व खराब वस्तुओं से दूर रखें। मीडिया क्षेत्र से अशोक ओझा ने कहा कि बुराईयॉ जल्दी से आती है और अच्छाईयॉ देरी से आती है। गायत्री परिवार के परिजन जंगल में जा-जाकर लोगों को शराब जैसी नशीली वस्तुओं का त्याग करवाकर जीवन को सुधार रहे है।
इसके पूर्व कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया पश्चात् अतिथियों का स्वागत मंगल तिलक व पुष्पहार से रूपचंद टवली, बद्रीलाल राठौर, भुरसिंह भिण्डे व दशरथसिंह गेहलोत ने किया। पश्चात् एक प्रज्ञा गीत ’’नशा न करना, मान लो कहना’’ की प्रस्तुति जी.एल.भाटिया व भुरसिंह भिण्डे दोनों ने दी। विशिष्ट अतिथि पंचमुखी हनुमान मंदिर के घनश्याम महाराज ने भी इस बुराई को छोड़ने हेतु आग्रह किया।
कार्यक्रम का संचालन गायत्री परिवार के जिला समन्वयक संतोष वर्मा ने किया व आभार प्रदर्शन वरीष्ठ ट्रस्टी जी.एल.भाटीया ने माना।कार्यक्रम को सफल बनाने में गायत्री परिवार के रणछोड़ राठौड़, जगदीश राठौड़, पुरषोत्तम करमदिया, सत्तेन्द्र चौहान व हेमेन्द्र चौहान, दिपक राठौड़, सामाजिक न्याय विभाग से अल्ताफ खान, महिला मण्डल से गीता राठौड़, मंजु राठौड़, ज्योति व कुसुम राठौड़ का विशेष सहयोग रहा।

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