रमजान माह में बोहरा समाज ने लिया संकल्प एक भी दाना खाना नहीं फेंकेंगे, बचा खाना जरूरतमंदों तक पहुंचाएंगे

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बृजेश खंडेलवाल, आम्बुआ
बोहरा समाज का चलरहा रमजान का पाक महीना समाजन दवारा रोजे वा 3 वक्त की नमाज मस्जिद में इबादत में अपना समय बीता रहे है और रोज का खाना भी ईमाने हुसैनी होल में खिलाया जा रहा है। बोहरा समाज के 53वें धर्मगुरु सय्यादना मुफद्दल सैफुद्दीन साहब की मनसा ये है के कोई भी समाज का आदमी भूखा न रहे समाज के धर्मगुरू ने 6 साल पहले समाजजनों के घर-घर खाना पहुंचाने का काम शुरू किया था जो बोहरा समाज के हर घर एक समय का खाना पहुंचाया जाता है। समाजजनों द्वारा एक साल की रकम ली जाती है ओर हर घर पर 12 महीने का खाना घर घर पहुंचात है, और अगर समाज का कोई व्यक्ति अगर पैसे ना दे सकता हो तो उनके घर भी थाली का खाना भेजा जाता है, ताकि वह भर पेट खाना खा सके। सैय्यदना साहब ने थाली का नाम फैजे मवाईडे बुरहनिया नाम दिया गया है और एक टीम गठित की गई है जो बखूबी अपने हिसाब से इस काम को सारा अंजाम देती है। इस बार रमजान में आम्बुआ व जहां कही भी बोहरा समाज के लोग रहते हो, समाज के धर्मगुरु की मंशा है कि खाने को वेस्ट न किया जाए। अगर इस रमजान मुझे समाजजन सबसे बड़ी खुशी देना चाहते हो तो चावल का एक दाना भी वेस्ट न जाए। आम्बुआ सहित अलीराजपुर, जोबट, भाबरा, नानपुर बड़े शहरों से लगा कर हर छोटे गांव मे जो लोग कई वर्ष से खाना खिलाने का काम कर रहे है। रमजान माह के चलते 53वें धर्मगुरू ने दाना कमेटी नाम दे दिया गया है। रोजाना समाजजनों को दाना कमेटी के द्वारा खाना खिलाया जाता है और इस बात का खास ध्यान दिया जाता है के कोई भी खाना वेस्ट न करे उतना ही दिया जाता है जितनी जरूरत हो और जब आखिरी में खाना खिलाने के बाद बचा खाना गरीबों और जरूरतमंदों को बांट दिया जाता है। बोहरा समाज ने यही संकल्प लिया है के धर्मगुरु की खुशी में हमारी खुशी है और हम उनके बताये रास्ते पर चलते है। दाना कमेटी को समाज के बड़े लोगो के साथ बच्चो का भी काफी अच्छा साथ मिला।

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