विश्व पर्यावरण दिवस: सूर्य की तपीश के बीच पेड़-पौधे को हरा-भरा रख रहे बदरूबा

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हरीश राठौड़, पेटलावद

पेड़ पौधे के लिये गटर के पानी भरते हुए बदरूबा

कंपकपाती आवाज और लडखड़़ातें कदमों के साथ एक निश्चल भाव लिये गांव की गटर से पानी को बाल्टी में भरकर मुरझातें हुए पेड़़ पौधों को पल्लवित करने का यदि कोई माद्दा रखता है तो वह बरवेट ग्राम के बुर्जुग बदरू बा के अलावा कोई नही हो सकता है। पिछले कई वर्षो से इनकी तपस्या का फल यह है कि आज सैकड़ों पौधे पेड़ बनकर इठला रहे है। सुर्योदय के साथ इस बुजुर्ग की दिनचर्या केवल और केवल ग्राम के चारों और हरे-भरे पेड़ पौधों को जिंदा रखने के लिये उन्हे सींचने के कार्य से होती है जो सूर्यास्त तक बिना थके बिना रुके निर्बाध रूप से जारी रहती है। जी हां! हम बात करे रहे है एक ऐसे शख्स की जो उम्र के इस पड़ाव मेें सभी को एक ऐसी चुनौती दे रहा है कि वर्तमान की इस स्वार्थ भरी दुनिया में है कोई जो नि:स्वार्थ भाव से पुरा समय देकर पर्यावरण की रक्षा करे। झाबुआ जिले के बरवेट ग्राम के निवासी बद्रीलाल पाटीदार की उम्र 60 वर्ष से अधिक है। लेकिन पर्यावरण के प्रति उनका प्रेम देखने ही लायक है।
कमजोर शरीर और मजबुत इरादे
आंख खुलते ही बदरू बा के सामने और कोई कार्य नही रहता, अपनी दिनचर्या से निपटे तो हाथ में बाल्टी लेकर निकल पड़ते है अपने जीवन के लक्ष्य की पूर्ति के लिये। कुएं बावड़ी के साथ हैंडपंप का साथ हो तब तक उनसे पानी लेकर एक एक बाल्टी से उनकी प्यास बुझाकर गहरा संतोष और मानसिक शांति का अनुभव करने वाले इस अनुठी शख्सियत को दिक्कत मई जुन की तेज चुभन में आती है। जब कुएं बावड़ी साथ छोड़ दे तो गटर के पानी को उलीचकर बाल्टी में भरकर ले जाने में भी कोई झिझक नही होती है। हांलाकि इस कार्य में परिजनो की कुछ आपत्ति रही लेकिन मजबुत इरादे लिये इस कमजोर शरीर वाले शख्स को डिगा नही पाये।

चारों और दिखती है तपस्या
कई वर्षो पूर्व एक दो पौधों को पानी देने से शुरू हुई इनकी अनूठी तपस्या आज मिशन बन गई है। बदरू बा का यह मिशन युवाओं के न केवल एक प्रेरणादायी है बल्कि उन लोगो के मुंह पर एक तमाचा भी है जो पौधारोपण के नाम पर लाखों करोड़ों खर्च करके भी परिणाम नही दे सकते है। ग्राम के प्रमुख धार्मिक स्थानों के साथ मुक्ति धाम और पेटलावद रोड़ सहित चारों और इनके तपस्या से सैकड़ो पौधे पेड़ बनकर इठला रहे है। बिना किसी सरकारी मदद के ग्राम को हरा भरा करने का बीड़ा उठाने वाला यह बुर्जुग निश्चित ही प्रदेश के लिये आर्दश उदाहरण है।

 

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