किसान आंदोलन की साइलेंट आहट के बावजूद भी लापरवाह है शिवराज सरकार का यह मंत्री

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चंद्रभान सिंह भदोरिया @ चीफ एडिटर झाबुआ Live 


जिले का प्रभारी मंत्री बनाने की अवधारणा इस सोच के साथ शुरु की गयी थी कि प्रभारी मंत्री जिले का एक तरह से मुख्यमंत्री होगा .. राजनीतिक – प्रशाशनिक मोर्चे पर सरकार की प्रतिष्ठा बढाने वाली गतिविधियों की अगुवाई करेगा लेकिन समय बदलते ही प्रभारी मंत्री अब सिर्फ साल मे दो या तीन बार जिलों मे आकर फोटो खिंचाऊ सरकारी इवेंट का हिस्सा मात्र बनकर रह गये है उनकी घोषणाऐ उनके जाते ही भुला दी जाती है ऐसे ही रस्म अदायक प्रभारी मंत्रीयों में झाबुआ के प्रभारी मंत्री विश्वास सारंग भी है जो कहने को तो मुख्यमंत्री शिवराज के नाक के बाल है लेकिन बीजेपी के लिए मुश्किल इलाके मानें जाने वाले झाबुआ के प्रभारी मंत्री है वह वैसै भी साल भर मे एक रात यहाँ भारी मन से बिताते है ओर दो तीन बार फोटो खिचवाने मजबूरी में आकर चले जाते है अब उनकी बेरुखी देखिए कि किसान आदोलन की धार को एडवांस मे कमजोर करने खुद मुख्यमंत्री किसान बेल्ट मे जा रहे है किसानों से संवाद कर रहे है लेकिन झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील मे किसान आंदोलन की साइलेंट आहट है एसपी – कलेक्टर संवाद कर रहे है लेकिन विश्वास सारंग ने जरुरी नहीं समझा कि एक बार पेटलावद इलाके का सघन दोरा कर किसानों से संवाद करें ओर संभावित आंदोलन की धार बोथरी करें .. राजनीतिक नजरिये से देखें तो झाबुआ कांग्रेस का मजबूत गढ है ओर अमित शाह का सपना भी कांतिलाल भूरिया को ओर उनकी कांग्रेस को हराना है ऐसे मे विश्वास सारंग झाबुआ जिले मे सक्रिय होकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है लेकिन पता नहीं क्यो वह ऐसा करते नहीं .. इसका सीधा फायदा अफसरशाही उठाती है ओर तानाशाही बताने लगती है ओर भाजपाइयो का उत्साह कम हो जाता है ओर भाजपा संगठन के जिला स्तरीय पदाधिकारी भी मदमस्त रहते है लेकिन प्रभारी मंत्री की बेरुखी कितनी भारी पड़ेगी इसका बस थोडा सा इंतज़ार कीजिए क्योकि राजनीति ओर सत्ता मे उदासीनता का परिणाम 1000% नकारात्मक ही आता है ।

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