भगवत वक्ता विरक्त होना चाहिये -गौभक्त संत रघुवीरदासजी

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रितेश गुप्ता, थांदला 

वर्तमान में चारो ओर भगवत कथा हो रही है। यह अच्छी बात है कलीकाल में हर नगर बस्ती, गाॅव में धर्म कथाओं के माध्यम से धर्म चर्चाए चल रही है । परन्तु बडी चिंता का विषय है कथाओं को व्यवसाय बना लिया गया है । वक्ता एंव श्रोता में भक्ति होना चाहियें । भगवत कथा करने वाला विरक्त होगा तभी वह समाज को सही मार्गदर्शन दे सकेंगा। उक्त विचार गौभक्त संत रघुवीरदासजी महाराज ने हनुमान अष्ट मन्दिर पर आयोजित श्रीमद भगवत सप्ताह के चतुर्थ दिवस पर कहें । इस अवसर पर आपने राजा परिक्षित सुखदेव के दृष्टान्त को उघृत करते हुए विस्तार पूर्वक कथा सुनाई । भगवान कृष्ण के जन्म उपरान्त भगवान की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा की का उत्सव पूरे एक माह तक चला था । इस दौरान जमुना मईया दूध और दही से भर गई थी । चारो और बधाईयाॅं थी वही कंश को अपनी मृत्यु का भय सता रहा था । वही नंदगाॅंव में उत्सव मनाया जा रहा था ।     पुतना वध और गोवर्धन लिला का भक्तिपूर्ण विवरण सुनाया । सम्पूर्ण कथा पांडाल भक्ति रस में डूब गया और भगवान की बाल लीलाओं की भावपूर्ण व्याख्या को संगीत के माध्यम से भजनों प्रस्तुती पर हम कोई झूम उठा जैसे ही पुतना वघ और गौवर्धन लिला की व्याख्या की गई नंद के लाला कृष्ण गोपाला की जय-जयकार होने लगी । इस अवसर पर भगवान गिरराजधरन गोवर्धन पर्वत की आकर्षक झाॅंकी सजाई गई थी  व छप्पन भोग प्रसादी को भोग लगाया था । चतुर्थ दिवस की कथा में बडी संख्या में श्रोता कडी धूप में भरी दोपहरी में कथा पांडाल में पहॅूंचे प्रतिदिन श्रोताओं की संख्या बढती जा रही है । वही अत्यधिक संख्या होने से पांडाल में अतिरिक्त व्यवस्था कर बढाया गया। 4थे दिवस की कथा में सुप्रसिद्ध सिद्ध तीर्थ हनूमंत आश्रम पिपलखुटाॅं दाडकी वाले बाबा के महंत दयारामदासजी महाराज कथा श्रवण हेतू पहूॅचे इस अवसर पर आपने उपस्थित श्रोताओं को सम्बोधित करते हूए कथा के महत्व पर प्रकाश डाला साथ ही श्रीमदभगवत सप्ताह की कथा का श्रवण करने वालो को शुभार्शीवाद प्रदान किया आपने उपस्थित जनों से कहाॅ हमारे मन के विकारों कष्टों का यदी कोई निवारण है तो एक मात्र कथा है । महंत जी का स्वागत महंत गोपालदासजी महाराज , स्वामी हराहरानंद  व्दारा किया गया इस अवसर पर चिंतामणी महाराज , रामदास महाराज, गणेशदास महाराज सहीत बडी संख्या में अचंल में संत महात्मा उपस्थित थे ।  

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