गुरुदेव रत्न सुंदर सूरीश्वरजी का मंगल प्रवेश जयंत सूरीजी के पत्र का किया उल्लेख

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राज सरतालिया, पारा

 पद्म विभूषित आचार्य रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी मसा तथा उनके साथ आये साधु साध्वी भगवंत का शनिवार को बैंडबाजो साथ स्वागत किया गया। पारा जैन समाज ने सरस्वती लब्ध प्रसाद आचार्य की सुबह 7 बजे अगवानी करते एक शोभायात्रा निकाली जिसमे समाज के प्रत्येक घर से सिद्धाचलजी के चित्र के समक्ष गहुली कर वन्दन किया गया। नगर के मुख्य मार्गो से होती हुई शोभायात्रा सदर बाजार स्थित श्री आदेश्वर-पार्श्व-सीमंधर धाम पहुंच कर श्री राजेन्द्र सूरी गुरु ज्ञान मन्दिर में धर्म सभा मे बदल गई।
श्रीसंघ अध्यक्ष मनोहर छाजेड़ ने पूण्य सम्राट गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद विजय जयंत सेन सुरीश्वजी को याद किया इसके बाद आचार्यश्री एवं साथ आये सभी साधु साध्वी भगवंत का स्वागत करते समाज के वरिष्ठजनों ने उन्हें काम्बली वोहराई।
आचार्य रत्नसुन्दर सूरीश्वर मसा ने मंगलाचरण से अपने प्रवचन की शुरुआत करते कहा कि पारा जयंतसेन सूरिजी के गांव के नाम से प्रसिद्ध है। पूण्य सम्राट को याद करते आपने कहा कि जब उनका चातुर्मास रतलाम में था तब मेरे पास बड़नगर श्रीसंघ उनका एक पत्र लेकर आया, कई संघो की विनती होने के बाद भी हमने जयंतसेन सूरीश्वरजी के पत्र को सबसे ऊपर रख बड़नगर चातुर्मास के लिए रजा दी।

आपने अपने प्रवचन में विवेक रूपी चोकीदार को रखने की बात कही। आपने कहा कि अगर आप अपनी आंखों पर विवेक रखोगे तो बुरा नहीं देखोगे, कानो पर रखोगे तो बुरा नही सुनोगे औऱ इसी प्रकार अगर हम इस विवेक रूपी चौकीदार को अपने मुहँ पर रखेंगे तो किसी की भी निंदा या आलोचना या कोई भी गलत शब्द नहीं बोलेंगे। आपने कहा कि वर्तमान में सब लोग ये कहते पाए जाते हैं कि विश्वास का ज़माना ही नहीं रहा बल्कि मै कहता हूं कि आज भी हम लोग किसी अनजान पर भी आंख मूंद कर भरोसा कर लेते हैं। इसी प्रकार आप दिन भर में अधिकतर सच बोलते हो पर फिर भी यही कहते हो कि सच का तो ज़माना ही नहीं।
अपने प्रवचन में आपने कहा कि हम भव्यतम मंदिर बनाते हैं क्योंकि हम अपनी आत्मा को भी भव्यता प्रदान करना चाहते हैं। आपने परमात्मा, गुरुभगवन्त, माता पिता तथा कल्याणी मित्र पर पक्का भरोसा रखने की बात कही। साथ ही मूल मंत्र देते कहा कि प्रवर्ति में विवेक, व्यक्ति में विश्वास, व्यवहार में विचार तथा विचार में उदारता लाने से जीवन परिवर्तित हो सकता है।

दोपहर में लगा बच्चों के लिए शिविर

आचार्य की निश्रा में दोपहर को छोटे बच्चों के लिए शिविर का आयोजन किया गया वहीं रात्रि में भी प्रतिक्रमण के बाद प्रवचन हुए।

आज होगा विहार
पद्म विभूषित आचार्य देवेश का शनिवार सुबह मंगल प्रवेश के बाद रविवार शाम को मोहनखेड़ा तीर्थ की ओर विहार हुआ। रविवार को आप पारा से 6 किमी दूर पिथनपुर में रात्रि विश्राम कर सोमवार सुबह विहार करेंगे।