प्रतिभा की धनी निकिता गुप्ता ने 98.2 फीसदी अंक हासिल करने पर सीएम चौहान ने किया सम्मानित

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BY, बृजेश खंडेलवाल, आम्बुआ
आम्बुआ के समीप एक छोटे से कस्बे मे एक मध्यम वर्गीय परिवार मे बगैर पिता की बेटी निकिता गुप्ता ने इस क्षेत्र का नाम खेल के साथ पढाई मे भी रोशन किया। निकिता गुप्ता बोरझाड़ निवासी स्वर्गीय संजय गुप्ता की बेटी है। निकिता ने बचपन से ही पढाई के साथ-साथ टेबल-टेनिस खेल मे अपनी रुचि रखते हुए उससे अपने जीवन का आधार बना लिया और प्रदेश सहित राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। आज उसने डॉन बॉस्को स्कूल मे अध्ययन करते हुए कक्षा 10 वीं की परीक्षा में मध्यप्रदेश मे पांचवी रैंक प्राप्त करते हुए 500 अंकों में से 491 अंक अर्जित कर 98.2 प्रतिशत बनाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराजसिह चौहान ने भोपाल मे सम्मानित किया। सम्मान मुख्यमंत्री के समक्ष सहयोगियों द्वारा दिया गया।
खेल मे प्राप्त की उपलब्धियां 
बचपन से ही बालिका की रुचि पढ़ाई के साथ टेबल टेनिस खेल में रही और कड़ी मेहनत और लगन से अपने राज्य सहित राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाया। 2013 से लेकर 2018 तक निकिता ने दिल्ली, महाराष्ट्र के ओरंगाबाद, आंध्रप्रदेश के ताड़े पल्ली गुड, मछली पटनम आदि जगहों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस पर गुजरात के बडौदा की संस्था ने निकिता को आईडियल गर्ल के अवार्ड से सम्मानित किया।
निकिता ने श्रेय अपनी माता को देते हुए कहा कि कि मेरे पिता के स्वर्गवास के बाद मेरी माता ने विपरीत परिस्थिति मे मुझे इस मुकाम पर पहुंचाया, जो भी मुझे सफलता मिली है वह मेरी मम्मी जी की वजह से मिली इसका पूरा श्रेय इनको देना चाहती हूं। विपरीत परिस्थिति के चलते भी संघर्ष किया। जब निकिता बहुत छोटी थी। तब अध्यापक के पद पर कार्यरत पिता संजय गुप्ता का स्वर्गवास हो गया था। मध्यम वर्ग के होने से जीवन व्यापन करना मुश्किल था। मगर शासन की नियम के अनुसार निकिता की मम्मी भारती गुप्ता को अनुकम्पा मे सरकारी नौकरी के तहत शिक्षिका के पद पर काम शुरू किया। माता भारती गुप्ता ने विपरीत परिस्थिति के चलते बेटी को किसी प्रकार से परेशानियो से दूर रखा और पढ़ाई के साथ खेल में रुचि देख पूरी तरह सहयोग किया और उसका परिणाम भी बेटी ने नाम रोशन कर दिया।
जीवन मे डॉक्टर बनना लक्ष्य-
होनहार गुप्ता परिवार की बेटी निकिता ने बताया कि मे आगे की पढ़ाई जारी रखते हुए बॉयो के माध्यम से एमबीबीएस कर डॉक्टर बनने के लिये प्रयासरत रहूंगी और यही मेरा सपना भी है जिसे पाना ही मेरा लक्ष्य है।

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