2017 में बलात्कार के आये फैसले चीख चीख कर कह रहे है कोई तो बचाओ अलीराजपुर के “पुरुषों ” को

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अलीराजपुर Live ———

सारे देश मे महिलाओं की अस्मिता ओर सम्मान खतरे मे है वही मध्यप्रदेश के अलीराजपुर में निजाम उल्टा है यहाँ बलात्कार के फर्जी मामलों से पुरुषों की अस्मिता ओर सम्मान खतरे मे है बिना अपराध वह महीनों जेल मे गुजारने को मजबूर होते है ओर जब फैसला आता है तो पीडिताऐ यह कहती हुई दर्ज होती है कि उनके साथ बलात्कार हुआ ही नहीं !! 

@ फिरोज खान @ अलीराजपुर 

निभ॔या  – कठुआ – उन्नाव रेप कांड से देश भर मे जहां महिलाओं के सम्मान ओर सुरक्षा को लेकर चिंताऐ जताई जा रही है उससे उलट मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले के पुरुष फर्जी रेप केसो से परेशान है । विगत 2017 मे अलीराजपुर जिले मे बलात्कार के मामलों मे आये 25 केसों के फैसलों से तो यही साबित होता है यहाँ तक कि एक रेप केस के फैसले मे अलीराजपुर की जिला एंव सत्र न्यायाधीश ” शोभा पोरवाल ” तक यह लिखने को मजबूर हुई कि वाकई बलात्कार के मामलों मे अलीराजपुर जिले मे हालात इसलिए चिंताजनक है । उन्होंने विशेष दांडिक प्रकरण क्रमांक 28 / 2015 के मामले मे 27 जुलाई 2017 को फैसला देते हुए लिखा कि ” यह अंत्यंत खेद का विषय है कि बलात्संग जैसै गंभीर अपराधों से संबध कानून का उपयोग अपने अन्य व्यक्तिगत झगडों को निपटाने के लिए या आर्थिक रुप से फायदा उठाने के लिए हथियार के तोर पर किये जाने की प्रवृत्ति समाज मे बढती जा रही है जिससे आम निर्दोषजन की मान प्रतिष्ठा पर आघात होता है एंव उन्हे आर्थिक रुप से हानि होती है । इसी फैसले मे जिला & सत्र न्यायाधीश ने लिखा कि ” वत॔मान प्रकरण मे भी फरियादी के द्वारा रिपोर्ट लिखाया जाना ओर न्यायालयन कथन मे बताया है तथा धारा 164 ( दंड प्रक्रिया संहिता यानी Cr.p.c ) के अधीन न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी के समक्ष दिनांक 13 जनवरी 2015 को हुए कथन प्र.क्र -11 में भी प्रथम सूचना के अनुसार ही कथन किये है तथा वह कक्षा 12 वी तक पढी है ऐसी स्थति मे यह भी नहीं कहा जा सकता कि न्यायालय ने क्या लिखा है उसे नहीं मालूम तथा उसके कथन एक सक्षम न्यायालय के समक्ष हुए है पश्चात उसके द्वारा आरोपी से समझोता होना स्वीकार किया है ओर पैसै का लेन-देन होना बताया है न्यायालय ने इस फैसले मे यह भी कहा कि ” सामान्यतः इस प्रकार के कई प्रकरणों मे यही स्थति सामने आती है जो कि एक विचारणीय प्रश्न है तथा इसे रोके जाने के लिए कदम उठाया जाना आवश्यक है । जिला सत्र न्यायाधीश की यह टिप्पणी अलीराजपुर जिले के हालातों को बयां करने के लिए काफी है कि यहाँ पुरुषों को रेप के नाम पर फंसाया जा रहा है सन 2017 मे जो 25 फैसले आये है उन सभी में आरोपी निर्दोष साबित हुए दिलचस्प बात तो इन फैसलों मे यह निकली की सभी पीडिताओ उफ॔ फरियादियों ने एफआईआर ओर कोट॔ में 164 ( cr.p.c ) के बयानों मे खुद के अपहरण ओर बलात्कार की बात कहीं लेकिन बहस के दोरान यह सभी 25 पीडिताऐ अपने बयान से मुकर गयी ओर मुकरी भी ऐसी कि यह कह डाला कि उनके साथ तो बलात्कार ही नहीं हुआ है पुलिस ने बलात्कार की धाराओं मे कैसै मामला दर्ज कर लिया उन्हे नहीं मालूम । आप कुछ मामलों की बानगी देखिए।

अपराध क्रमांक 98 / 14 धारा 376 / 506 ipc – पीडिता ने कोट॔ को बताया कि उसके साथ बलात्कार की कोई घटना ही घटित नहीं हुई है ना मेडीकल हुआ ओर ना ही कोई रिपोर्ट दर्ज करवाई ।।

अपराध क्रमांक – 26 /17 – धारा – 376 ; 506 & 3/4 पास्को एक्ट – पीडिता ने बताया कि उसके साथ कोई घटना ही बलात्कार की नहीं हुई है ओर ना ही उसने कोई रिपोर्ट लिखवाई है पुलिस ने कैसै रिपोर्ट लिख ली उसे नहीं मालूम ।

यही कहानी 2017 मे आये सभी 25 बलात्कार के फैसलो की है अब सवाल उठता है कि क्या पुलिस वाकई में फर्जी केस दर्ज कर अपनी ही सरकार की बदनामी करती है या कोई ओर वजह है । यहाँ पुलिस का बचाव cr.p.c की धारा 164 कर देती है इस धारा मे पीडिता उफ॔ फरियादी या गवाहो के बयान सक्षम न्यायालय के समक्ष एफआईआर के तुरंत बाद पुलिस द्वारा करवाए जाते है चुंकि एफआईआर के बाद यह बयान होते है इसलिए बयान एफआईआर के समथ॔न में ही जाते है इसलिए पुलिस का यहाँ बचाव हो जाता है । लेकिन सवाल उठता है कि आखिर मुकरने के पीछे या रेप होने की घटना से इंकार के पीछे की वजह क्या है ? इसके जवाब में ग्राम झोरा के पटेल अभयसिंह पटेल ( 58 ) कहते है कि यह आदिवासी समाज की परंपरा है कि हम हर तरह का झगडा गांव के बडे बुजुर्ग बैठकर तोड देते है इसके लिए पंचायत लगती है ओर 50 हजार रुपये के अंदर अंदर इज्जत लेने का दंड आरोपी पर लगाकर झगड़ा तोड देते है ओर समझोते के बाद आरोपी के समथ॔न में पीडिता बयान दे देती है जिसमें वह घटना होने से ही मुकर जाती है । लेकिन इससे पुलिस की दिक्कतें बढ रही है अलीराजपुर के एसपी विपुल श्रीवास्तव का कहना है कि एक फैसले पर तो जिला न्यायाधीश ने टिप्पणी भी की है ओर लेन देन का उल्लेख भी किया है लेकिन इस तरह की लेन-देन का कोई सीधा सबुत नहीं मिलता इसलिए हमें भी दिक्कत होती है लेकिन यह भी सच है कि बलात्कार के आरोप लगाना आजकल अलीराजपुर जिले मे निजी दुश्मनी निकालने का माध्यम भी बन गया है अलीराजपुर जिले के उदयगढ थाने के खंडाला गांव के राजेश चोहान ( 34 ) कहते है कि ऐसा कोई कानून बनना चाहिए कि झुठा नाम लिखवाने वाली महिलाओं या लडकियो पर कारवाई हो सके । दरअसल राजेश ओर उसके भाई को बलात्कार के एक मामले मे नामजद किया गया था उसके भाई पर बलात्कार करने ओर राजेश चोहान पर उसकी मदद करने का आरोप था । राजेश कहते है कि उसका हाई 4 महीने ओर वह खुद 40 दिन जेल मे रहा बाद मे निर्दोष साबित होने पर जमानत मिली । लेकिन उनका परिवार परेशान हो गया समाज मे मान सम्मान सब चला गया उसे कोन लोटाऐगा ? बलात्कार के मामलों मे फैसलों के बाद हमें एक मामले की फरियादी लडकी भी मिल गयी जो की नाबालिग थी ओर उसने एफआईआर दर्ज करवाई थी कि उसका अपहरण कर बलात्कार हुआ है लेकिन यह मामला भी कोट॔ में समाप्त हो चुका है फरियादी ने अलीराजपुर Live को बताया कि वह क्या करती गाँव ओर समाज वालों का दबाव था कि समझोता कर लो रंजिश मत बढाओ तो समझोता हो गया ओर वह बयान बदलने को मजबूर हुई । आदिवासी समाज के एक अन्य पटेल सरदार कहते है कि कानून से हमें कोई मतलब नहीं है हमारा आदिवासी कानून ओर परंपरा अलग है उसमें झगडा आगे ना बढे ओर रंजिशें मन मे ना रखें इसलिए झगड़ा हम लोग खत्म करवाते है इसमें कोई बुराई नहीं है ओर इसलिए बरी होने वाले फैसले आते है । अलीराजपुर जिला कोट॔ में लंबे समय से वकालत कर रहे अभिभाषक दशरथ सिंह चंदेल ओर अशोक सिंह कहते है कि आदिवासी समाज की परंपरा के अनुसार पहले आदिवासी पंचायते फैसले ले लेती है ओर वही फैसले को कोट॔ में आकर लागू हो जाते है इसलिए बयान से मुकरने जैसै मामले शत प्रतिशत अलीराजपुर जिले मे होते है ।

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