खुले में शौच से मुक्ति का अहसास बेहद गर्व से भरा है, इसे सदैव अपने दिल मे ज़िंदा रखें – सुश्री मारिया

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अलीराजपुर लाइव के लिए नानपुर से जितेंद्र वाणी (राज) की रिपोर्ट-

(नानपुर) इस बेहद अशिक्षित और पिछड़े क्षेत्र में खुले शौच से मुक्ति की कल्पना करना ही बेहद कठिन है, मुझे बेहद आश्चर्य है, कि आखिर आप लोगों ने कैसे इस कठिन कार्य को किया होगा। खुले में शौच से मुक्ति का यह अहसास बेहद गर्व से भरा है, आप इस गर्व को हमेशा अपने दिल मे ज़िंदा रखियेगा। और मानवीय जीवन की बेहतरी के लिए प्रयास करते रहिएगा। उपरोक्त बात नीदरलैंड से आईं यूनिसेफ की वाश स्पेशलिस्ट सुश्री मारिया ने अलीराजपुर विकासखण्ड के ग्राम मसनी के परिवेश को देखकर कही।
उल्लेखनीय है, की अलीराजपुर जिले के प्रवास पर पधारी सुश्री मारिया ने मुख्यमंत्री  शिवराजसिंह चौहान की उपस्थिति में अलीराजपुर जिले को खुले में शौच से मुक्ति का प्रमाण पत्र सौपा है। ओडीएफ होने की प्रक्रिया, एवम इस कार्य मे जुटे ग्रामीण तथा मैदानी कर्मचारियों के अनुभव को साझा करने के लिए वे ग्राम मसनी में उपस्थित हुई थी। उनके साथ यूनिसेफ दिल्ली के वाश स्पेशलिस्ट  पंकज माथुर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत एमएल त्यागी, यूनिसेफ के प्रदेश नोडल अधिकारी पलाश सारंगी, यूनिसेफ भोपाल की वाश स्पेशलिस्ट  हाफ़सा खान, यूनिसेफ लीडर अजय कोहरे भी उपस्थित हुए।

यहां उनका स्वागत सरपंच भेरूसिंह कनेश, वरिष्ठ अध्यापिका सीमा पटेल क्षीरसागर,  प्रियंका चौहान एवम स्थानीय ग्रामीणों ने किया। कार्यक्रम में खण्ड शिक्षा अधिकारी संजय गांधी, जनपद सीईओ वीरेंद्र श्रीवास्तव, बीआरसी अविनाश वाघेला, तत्कालीन मण्डल संयोजक एव वर्तमान बीईओ बीआरसी कट्ठीवाड़ा  शरद क्षीरसागर, पटवारी सुनील सोलंकी,डॉक्टर रामसिंह तोमर, भारतसिंह मौर्य, राजेन्द्र चौबे, धनसिंह चौहान, जनशिक्षक राजेन्द्र वाणी, पंचायत समन्वयक इंदरसिंह मौर्य सहित स्थानीय अधिकारी कर्मचारी एवम ग्रामीणों ने इस कार्य के दौरान आने वाले अनुभव अतिथियों के मध्य साझा किए।

कलश यात्रा में ढोल मांदल पर थिरक उठे अतिथि
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कार्यक्रम में बैठक के उपरांत ढोल मांदल के साथ कलश यात्रा का आयोजन किया गया। इस यात्रा में बालिकाओं ने कलश सिर पर रखकर नृत्य करना शुरू किया, तो उपस्थित अतिथि भी स्वयं को रोक नही सके, और ग्रामीणों के साथ जमकर थिरकने लगे।

आदिवासी संस्कृति से जुड़ा स्नेह चिन्ह भेंट किया
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कार्यक्रम में आदिवासी लोक संस्कृति से जुड़ा गुड्डे गुड़िया का जोड़ा, एवम पारम्परिक आदिवासी हथियार तीर कमान गोफन, फालिया से सजा स्नेह चिन्ह अतिथियों को भेंट किया गया। इन पारम्परिक शस्त्रों को देखकर अतिथि अत्यंत आश्चर्य चकित हुए। वापसी के दौरान ग्रामवासी झूमते नाचते हुए उन्हें ग्राम की सीमा तक छोड़ने के लिए गए।
कार्यक्रम में सांवलसिंह चौहान, अजय चौहान, प्रभावती परवाल, साधना गाडरिया, दिनेश वर्मा, भेरला चौहान, दलसिंह चौहान, अमानसिंह चौहान, भारतसिंह बघेल, गुमानसिंह मण्डलोई, पार्वती गाडरिया सहित अनेक कर्मचारी एवम ग्रामीण उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन शरद क्षीरसागर ने किया, एवम आभार प्रदर्शन घनश्याम राठौड़ ने किया।

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