नि:शुल्क स्कूल चलें हम अभियान में नि:शुल्क साइकिले वितरित

0

झाबुआ लाइव के लिए पिटोल से भूपेंद्रसिंह नायक की रिपोर्ट-
स्कूल चलें हम अभियान के तहत कन्या हाईस्कूल पिटोल व शाउमावि पिटोल में छात्र-छात्राओं को वितरित की गई नि:शुल्क साईकिल, दोनों ही संस्थाओं में हुए कार्यक्रमों में साइकल वितरण अतिथियों के रूप में पहंचे क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि पिटोल सरपंच काना गुंडिया, भीम फलिया सरपंच अंजू मेडा, जनपद सदस्य बलवंत मेडा, पेमा भाबोर, पूर्व प्राचार्य शिक्षक बालकृष्ण नागर, विक्रम नायक द्वारा किया गया। कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए अपने लक्ष्य को ध्यान रख मन लगाकार पढ़ाई करने और अच्छे अंकों से पास हो अपने, अपनी संस्था और अपने क्षेत्र का नाम रोशन करने को प्रेरित किया। साथ ही घर से स्कूल व स्कूल से घर आने जाने में सावधानी पूर्वक साईकिल चलाने की नसीहत दी। कन्या हाईस्कूल संस्था प्रमुख सविता गुप्ता ने बताया की संस्था में वर्तमान में कक्षा 10वीं अध्ययनरत 79 छात्राओं को इस योजना का लाभ मिला है जो की संस्था से 2 किमी या उससे अधिक दूरी से संस्था में अध्ययन को आती है। साथ ही शाउमावि पिटोल संस्था प्रमुख प्रभारी प्राचार्य संतोष खेडेकर ने जानकारी साझा करते हुए बताया की शैक्षणिक सत्र 2017-18 में कक्षा 9वीं में प्रवेशित छात्र जो की वर्तमान कक्षा 10वीं में है 147 विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ मिला है।
ये कैसा स्कूल चले हम अभियान
विकसित मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए शिक्षित मध्यप्रदेश आवश्यक है। शिक्षित मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए आवश्यक है किए प्रदेश का हर बच्चा स्कूल जाए और अपनी पढ़ाई गुणवत्ता से पूरी करे। इसी भावना से मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के सभी ऐसे विद्यार्थी जो की 2 किमी से अधिक दूरी से पढ़ाई करने जाते है उनको कक्षा 9 वी में प्रवेश के साथ ही हितग्राही विद्यार्थियों को उसी शैक्षणिक सत्र में इस योजनान्तार्गत साइकिल वितरण किया जाना था जिससे की उनको आवागमन में सुविधा मिले और बचे समय में वे अपनी पढाई और अच्छे से कर सके लेकिन हुआ ऐसा की 9वीं में मिलने वाला लाभ मिला 10वीं में पिटोल में दोनों ही संस्थाओ में 230 के करीब ऐसे विद्यार्थी है जो की इस योजना से लाभान्वित हुए है जो की कुल छात्र संख्या का 70 प्रतिशत से अधिक है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की बड़ी संख्या में विद्यार्थी दूर दराज छोटे छोटे कस्बों गांवों जहां यातायात के सुगम साधन नहीं है वहां से या तो पैदल आते है या पैसे खर्च कर जीप बसों के माध्यम से शिक्षा ग्रहण करने आते है ऐसे में पात्र विद्यार्थियों को एक वर्ष बाद लाभ मिलना कही न कही बड़ी प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोलता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.